30 सितंबर को तिकोनिया पार्क सुल्तानपुर में आयोजित की जाएगी डा. घनश्याम तिवारी की श्रद्धांजलि सभा
सुल्तानपुर। 30 सितंबर को तिकोनिया पार्क सुल्तानपुर में डा. घनश्याम तिवारी की श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी। डा० घनश्याम तिवारी की जिस तरह से नृशंस, निर्मम और क्रूर हत्या की गयी है, सुलतानपुर का साहित्य- समाज उसकी घोर भर्त्सना करता है। उनके परिवार के प्रति हार्दिक शोक- संवेदना व्यक्त करता है। वरिष्ठ साहित्यकार कमलनयन पाण्डेय ने कहा कि जब भी समाज अपने बीच घटित होते घोर अन्याय, अत्याचार, दमन, उत्पीड़न और जघन्य हिंसक वारदातों को अनदेखा, अनसुना कर देता है। चुप और निष्क्रिय हो जाता है; तो वह समाज सिर्फ पतन की ओर ही नहीं जाता बल्कि वह समाज और उस समाज में रहने वाला हर कोई असुरक्षित हो जाता है। ऐसे में किसी भी अपराध और अपराधी के विरुद्ध सर्व समाज को एकजुट खड़ा होना पड़ेगा। डा० राधेश्याम सिंह ने कहा कि बंटे और विखरे समाज में अपराध और अपराधी निरंकुश हो जाते हैं। डा० घनश्याम तिवारी की वहशीपन के साथ की गई जघन्य हत्या को समाज और सत्ता, प्रशासन गंभीरता से ले। अपराधियों को दण्ड मिलता दिखना चाहिए।
डा० इन्द्रमणि कुमार ने कहा कि इस तरह की नृशंस हत्या से दिल दहल उठता। अपने भीतर सवाल उठता है कि हम किस समय और समाज में रह रहे हैं। डा० सुशील कुमार ‘साहित्येन्दु’ ने हत्यारों के विरुद्ध त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की माँग की। शायर हबीब अजमली ने आहत स्वर में कहा कि डा० घनश्याम तिवारी के वहशी हत्यारों के विरुद्ध सर्व समाज का साझा हाथ उठना चाहिए। तभी हत्यारों को दण्ड मिल सकेगा। अन्य साहित्यकारों ने भी इसी तरह के अपने विचार रखे।
अंत में ख्यात ग़ज़लकार डा० डी एम मिश्र ने अपनी काव्य- पंक्तियाँ प्रस्तुत कीं— ” कमज़ोर लोगों का कठिन जीना हुआ/ गुंडों का चौड़ा मगर सीना हुआ/ कब, कहाँ पर कौन मारा जाएगा/ अब ये बतलाना भी नामुमकिन हुआ। ”
आख़िर में स्मृति शेष डा० घनश्याम तिवारी के प्रति विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।