हरिद्वार जिले में दम तोड़ती नजर आ रही डोर- टू- डोर कूड़ा कलेक्शन योजना
हरिद्वार। जिले को स्वच्छ नगरी बनाने के लिए डोर- टू- डोर कूड़ा कलेक्शन योजना को लागू किया गया है, जिसके माध्यम से सभी घरों का कूड़ा एक जगह इकट्ठा करके जिले को स्वच्छ नगरी में शामिल किया जा सके। नगर निगम ने शहर की सफाई व्यवस्था के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी कासा ग्रीन और केएल मदान के साथ अनुबंध किया हुआ है। इसमें हर महीने दोनों कंपनियों को 30-30 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है, लेकिन बावजूद इसके शहर की सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं देखा गया है। गलियों से लेकर मैन बाजार की सड़कों पर जगह- जगह कूड़े के ढेर देखने को मिलते है।
डोर- टू- डोर कूड़ा उठाने के लिए गाड़ियों की भी पूरी व्यवस्था की गई है, लेकिन पतली व शंकरी गलियों में कूड़ा वाहन के न पहुंचने से वह कूड़ा वाहन में कूड़ा नहीं फेंक पाते, और सड़कों पर कूड़े के ढेर देखने को मिलते है। इतना ही नहीं बल्कि कूड़ा ले जाने वाले रिक्शा भी एक राउंड मारके थक हार जाते है, और लोग सड़कों पर कूड़ा फेंक देते है। नगर निगम द्वारा लाखों रुपये बहाने के बाद भी शहर की सफाई व्यवस्था में कोई सुधार नहीं देखा जा रहा है।
एक ओर स्वच्छ भारत का सपना साकार करने की हर संभव कोशिश की जा रही है, तो दूसरी ओर इस तरह से दम तोड़ती व्यवस्थाओं के कारण शहर गंदगी मुक्त होने का नाम नहीं ले रहा है। जिले के ज्वालापुर क्षेत्र के अधिकतर वार्डों गंदगी देखी जा रही है। यहां न तो समय से कूड़ा उठ पा रहा है, और न ही सफाई व्यवस्था अपने चरम पर पहुंच पा रही है। यहां के अधिकतर वार्डों की स्थिति बेहद खराब हो रखी है। नगर निगम प्रशासन को इस ओर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।