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जिस कारोबार में मंदी नहीं

एक कारोबार है, जिसमें लगातार उछाल है। यह ऐसा कारोबार है, जिसमें कभी मंदी नहीं आती। लेकिन यह दुनिया के लिए खुशी की खबर नहीं है। बल्कि अफसोसनाक है कि जब दुनिया कोरोना महामारी के मारक प्रभावों के साये में है, तब भी हथियारों का कारोबार बढ़ा है।

दुनिया आर्थिक मंदी की तरफ जा रही है। खाद्य और ऊर्जा संकट न सिर्फ विकासशील देशों में, बल्कि धनी देशों में भी गहरा गया है। इसके बावजूद एक कारोबार है, जिसमें लगातार उछाल है। यह ऐसा कारोबार है, जिसमें कभी मंदी नहीं आती। लेकिन यह दुनिया के लिए खुशी की खबर नहीं है। बल्कि अफसोसनाक है कि जब दुनिया कोरोना महामारी के मारक प्रभावों के साये में है, तब भी हथियारों का कारोबार बढ़ा है। स्टॉकहोम पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (सिप्री) की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में हथियारों की वैश्विक बिक्री में करीब दो फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। यह लगातार सातवां साल है जबकि हथियारों की बिक्री बढ़ी है। सिप्री की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन युद्ध के बनते हालात कारण बीते साल वृद्धि देखी गई।

सिप्री का अनुमान है कि सप्लाई चेन में बाधा का असर हथियारों के निर्माण पर पड़ सकता है और अमेरिका और यूरोप की अपने जखीरे को और मजबूत करने की कोशिशें प्रभावित हो सकती हैं। दोनों ही पक्षों ने यूक्रेन को अरबों डॉलर के हथियार और गोला बारूद सप्लाई किए हैं। अब अगर सप्लाई चेन की बाधा जारी रहती है, तो कुछ हथियार उत्पादकों को यूक्रेन युद्ध के कारण पैदा हुई मांग पूरी करने में सालों लग सकते हैं। लेकिन इस बीच यह तो तय है कि इस कारोबार में उछाल जारी रहेगा। 2021 में 592 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री हुई, जो 2020 के मुकाबले 1.9 फीसदी ज्यादा है। अगर सप्लाई चेन की दिक्कतें ना होतीं, तो 2021 में हथियारों की बिक्री में और ज्यादा वृद्धि होती। सिप्री ने दुनिया की सौ सबसे बड़ी कंपनियों की सूची भी बनाई है, जो हथियार या उनसे जुड़ीं सेवाएं उपलब्ध कराती हैं। इनमें अमेरिका की सबसे ज्यादा 40 कंपनियां हैं, जिन्होंने 2021 में कुल 299 अरब डॉलर के हॉथियार बेचे। 2021 में 100 सबसे बड़े हथियार सप्लायरों में 27 के मुख्यालय यूरोप में थे। 2020 के मुकाबले इस क्षेत्र से हथियार बिक्री 4.2 फीसदी ज्यादा रही और कुल 123 अरब डॉलर के हथियार बिके।

Aanand Dubey

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