साफ -सुथरा बनाने के कागजी दावों में खो गयी तमसा नदी की निर्मलता
जगह- जगह लगे कूड़े कचरे के ढेर
नदी के वजूद के लिए बना संकट
अंबेडकरनगर। हिंदू धर्म में नदियों को पवित्र और शुद्ध माना जाता है, लोग नदियों की पूजा- अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करते है। नदियों के शुद्ध जल को पीकर अपनी प्यास बुझाते है, लेकिन जहां एक ओर लोग इससे अपनी प्यास बुझा रहे है, तो वहीं दूसरी ओर लोगों ने नदियों के जल को इतना दूषित कर दिया है, कि यह पीने लायक तो दूर की बात कहीं से पास खड़े होने के लायक भी नहीं रह गई है। जी हां यह सुनने में आपको बड़ी हैरानी हो रही होगी, कि पास खड़े रहने से क्या मतलब उभर रहा है। आपको बता दें कि नदियों में सुमार तमसा नदी का कुछ इसी तरह का हाल देखने को मिल रहा है। यहां नदी किनारे जगह- जगह कूड़े के ढेर लगे हुए है। दुकानों व उद्योग प्रतिष्ठानों से निकलने वाले कचरे ने नदी के पानी को दूषित कर दिया है।
नदी किनारे कूड़े के ढेर होने की वजह से नदी के आसपास तक इतनी दुर्गंध आ रही है कि वहां खड़ा रहना तक मुश्किल हो रहा है। श्रीराम के वनवास से जुड़ी तमसा नदी के लिए भारत सरकार से प्रथम पुरस्कार की घोषणा की गई थी। यह पुरस्कार तमसा के पुनरूद्धार को लेकर की गई थी। जलशक्ति मंत्रालय की ओर से घोषित नेशनल वाटर अवार्ड-2019 में इसे उत्तर भारत का पहला पुरस्कार दिया गया था। इसके पहले भी तमसा के पुनरूद्धार के लिए जल शक्ति मंत्रालय के तहत काम करने वाली संस्था एलिट्स वाटर इनोवेशन संस्था के जरिए दिया गया था। यह पुरस्कार अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा ने पिछले 28 अगस्त को प्राप्त किया था। अब भारत सरकार का जल शक्ति मंत्रालय ने इसे पहला पुरस्कार प्रदान किया है। साफ सुथरा बनाने के कागजी दावों में तमसा नदी की निर्मलता खो गयी है। नदी के किनारे लगे कूड़े कचरे के ढेर, घरों, दुकानों व उद्योग प्रतिष्ठानों से निकलने वाला कचरा नदी के पानी में समाकर इसके वजूद के लिए भी संकट बना हुआ है।
क्षेत्रीय लोगों का कहना है कि जब तक नदी को प्रदूषण मुक्त व साफ सुथरा बनाने की योजनाएं कागजों से हटकर जमीनी धरातल पर नहीं आएगी तब तक तमसा नदी का उद्धार संभव नहीं होगा। देखभाल न होने से ही नदी का पानी इस हद तक प्रदूषित हो चुका है कि उसमें से दुर्गंध आने लगी है। बीते दिनों शासन की पहल पर नदी की सफाई का कार्य जरूर हुआ था, लेकिन नदी की निर्मलता बनाए रखने के लिए कोई ठोस प्रबंधन कार्ययोजना अमल में न लाए जाने से इसका प्रभाव बेकार साबित हुआ है। इसके चलते ही जिला मुख्यालय की सीमा के बीच यह नदी अपनी निर्मलता को पूरी तरह खो चुकी है। नदी के किनारे जगह- जगह कूड़े कचरे के ढेर ने इसे पूरी तरह प्रदूषित कर दिया है। अकबरपुर नगर में कुल 14 छोटे व बड़े नालों का गंदा पानी तमसा नदी में समा रहा है। इसमें घरों व दुकानों से निकलने वाला सीवर भी शामिल है।
इसके साथ ही तमाम पॉवरलूम से जुड़े रंगाई केंद्रों आदि निकलने वाले खतरनाक रसायन के अवशेष भी नालों के जरिए नदी तक पहुंच रहे हैं।नगर परिषद प्रशासन का दावा है कि छह बड़े नालों के मुहाने पर विशेष प्रकार के प्रबंध किए गए हैं, जिससे कूड़ा कचरा नदी में न जाने पाए। जमीनी तौर पर इनमें से किसी भी नाले पर ऐसा कोई इंतजाम देखने को नहीं मिलता है, जिससे नदी को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।
अधिशासी अधिकारी नगर परिषद बीना सिंह का कहना है कि तमसा नदी की साफ-सफाई बीते दिनों कराई गई थी। नदी में गंदगी न जाने पाए, इसके लिए भी समय- समय पर जरूरी इंतजाम किए जाते हैं। नालों के जरिए प्रदूषण न पहुंचने पाए इस पर विशेष तौर से ध्यान रखा जा रहा है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।