ब्लॉग

केजरीवाल जेल गए तब भी उनका वोट सुरक्षित

हरिशंकर व्यास
भाजपा यदि आम आदमी पार्टी को तोड़ डाले, उसकी मान्यता खत्म कर दे तो अलग बात है वरना दिल्ली और देश में केजरीवाल के जो वोट बने थे वे जस के तस हैं! बहुत हैरानी हुई मुझे राजस्थान के मध्य वर्ग परिवार और दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ बस्तियों से काम के लिए कॉलोनी में आने वाली महिलाओं की चर्चा सुन कर। मैं मान रहा था कि अरविंद केजरीवाल के घर की शानो-शौकत, 45 करोड़ रुपए के खर्च की बदनामी से उनके भक्तों में मोहभंग हुआ होगा। लेकिन उलटी बात सुनने को मिली। भक्तों की एक ही बात, एक ही तर्क है। और वह यह कि केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी और अडाणी के खिलाफ बोला इसलिए उसे ऐसे बदनाम कर रहे हैं।

हां, नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल के ग्राफ का फर्क गजब है। केजरीवाल के साथ दिल्ली में उनकी सरकार का काम (खासकर स्कूल, बिजली, पानी) लोगों में जस का तस चर्चित है वही नरेंद्र मोदी अपनी सरकार की मैसेजिंग में फेल हैं। उस नाते दिल्ली के विधानसभा चुनाव 2020 में केजरीवाल को जो 54 प्रतिशत वोट मिले थे उनमें मध्य उच्च वर्ग के परंपरागत मोदी विरोधी घरों में भले मोहभंग हो और वे कांग्रेस की तरफ मुड़ें लेकिन झुग्गी-झोपड़ी, गरीब वर्ग में टीवी चैनलों के केजरीवाल एक्सपोजर का कोई अर्थ नहीं है। सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया या अरविंद केजरीवाल के जेल जाने से आप के दिल्ली वोटों पर फर्क नहीं पडऩे वाला है। मोदी-शाह को या तो दिल्ली विधानसभा खत्म करनी होगी या आम आदमी पार्टी की मान्यता को उद्धव ठाकरे की शिव सेना की तरह रद्द कराना होगा तभी दिल्ली में भाजपा का मतलब बनेगा।

सवाल है मोदी-शाह को तो सन् 2024 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सात सीटें चाहिए। अपना मानना है उसमें भाजपा को दिक्कत नहीं होगी। पहली बात, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस साथ मिलकर एलायंस में चुनाव लड़ें, इसके फिलहाल आसार नहीं हैं। दूसरी बात, 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली में आप को 18 प्रतिशत तथा कांग्रेस को मिले 22 प्रतिशत वोट का कुल जोड़ भी भाजपा के 57 प्रतिशत वोटों से बहुत पीछे था। इसलिए नरेंद्र मोदी के करिश्मे में पहले तो भारी गिरावट हो, फिर कांग्रेस-आप मिल कर साझा चुनाव लड़ें तब जरूर लोकसभा सीटों पर कांटे की टक्कर बनेगी। भाजपा का केजरीवाल पार्टी को खत्म करने का मिशन केजरीवाल की सियासी बला की वैयक्तिक लड़ाई में है। मोदी बनाम केजरीवाल की निजी लड़ाई है। इसलिए लोकसभा की सात सीटें जीतने के बाद मोदी सरकार दिल्ली विधानसभा चुनाव तक आप को लडऩे लायक नहीं रहने देगी। सोचें, यदि डेढ़ साल केजरीवाल, सिसोदिया जेल में रहे, दिल्ली-पंजाब की उनकी सरकारों को लाचार बना दिया या भंग और खत्म कर दिया तो उस स्थिति में भक्त वोटों के होते हुए भी क्या आप चुनाव लडऩे लायक होगी?

इसलिए आजाद भारत की 75 वर्षों की राजनीति में नरेंद्र मोदी बनाम अरविंद केजरीवाल की लड़ाई न केवल बेमिसाल है, बल्कि तमाम तरह की नीचताओं को लिए हुए है और इससे अपने आप वक्त दो शख्सियतों के उत्थान-पतन की गाथा बनवाएगा।

Aanand Dubey

superbharatnews@gmail.com, Mobile No. +91 7895558600, 7505953573

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *