उत्तर प्रदेश

लोकसभा चुनाव 2024-  चुनावी बिसात बिछाने की तैयारी, कसरत में जुटे सभी दल, आखिर कौन होगा 2024 सहारनपुर का सिकन्दर

सहारनपुर। चुनाव 2024 की रणभेरी बजते ही न केवल चुनावी बिसात बिछनी प्रारम्भ हो गयी है, वही अलग अलग प्रकार से अलग अलग दलों में आवागमन और प्रस्थान का सिलसिला भी प्रारम्भ हो गया है। वही जनपद सहारनपुर की दलीय स्तिथि देखे तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता इमरान मसूद ने हाथ का साथ लेकर अपनी दिशा निर्धारित कर ली है वही बसपा में खाली स्थान भरो की तर्ज़ पर अब फिर एक बार हाजी फजलुर्रहमान कुरेशी(अलीग) फिर से सर्वे सर्वा बन गए है, और अपनी ताल ठोकेंगे। इधर भाजपा में सम्भावित रूप से राघव लखनपाल शर्मा का भी चुनाव लड़ना तय है।

यदि बात करे तो विरोध की राजनीति करते करते इमरान मसूद इस बार फिर करो या मरो की राजनीति पर अमल करेंगे वही हाजी फजलुर्रहमान के परिवार के सदस्य का खुले तौर पर इमरान को समर्थन दिए जाने की चर्चा भी किसी से छिपी नही है, वही गठबंधन की राजनीति में ऊंट किस करवट बैठेगा, यह भी देखने वाली बात होगी, एक बात इस चुनाव में विलक्षण है कि इमरान अपने लिए गठबंधन प्रत्याशी के रूप में स्वयं को प्रस्तुत करेंगे, वही हाजी फजलुर्रहमान स्वयं लड़ेंगे अथवा किसी को लड़वाएँगे यह भी सोचनीय है? वही पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा फिलहाल ऐसे व्यक्ति है जो उम्मीदवारी की दावेदारी स्वयं नही कर रहे है बल्कि आलाकमान स्वयं उन्हें उम्मीदवार बनाने का मन बनाये है, हालांकि बीच मे थानाभवन के पूर्व विधायक सुरेश राणा का नाम भी चर्चा में आया, और पिछले दो तीन दिन से संगीत सोम का नाम भी प्रचलन में आया, परन्तु राष्ट्रीय और प्रदेशीय आलाकमान राघव लखन पाल के नाम पर ही एक मत है। वैसे भी विश्वसनीयता, परिपक्वता, ईमानदारी इस सबका संगम निश्चित रूप से राघव लखनपाल शर्मा के व्यक्तित्व को सबल बनाता है, हालांकि भीम आर्मी के अध्यक्ष चंद्र शेखर आज़ाद को भी इस चुनाव में नज़र अंदाज़ नही किया जा सकता।

अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय मे गठबंधन का स्वरूप क्या होगा? भाजपा बनाम अन्य होगा? या भाजपा, बसपा, और इंडिया के बीच मुकाबला होगा जो भी है राजनीतिक विचारों को धारदार किया जा रहा है, वही वाक्पटुता, सहजता, लोगो मे विश्वास को जाग्रत करना, आने वाले समय मे जनता के हितों को ध्यान में रखकर काम करना, जनता के दिलो में विश्वाश की अलख जगाना, और साथ ही हर आम और खास के मन में अभिभावक की तरह यह प्रदर्शित करना, कि देखो मैं हूं ना? हालांकि चुनावी परिदृश्य स्पष्ट होने में अभी समय है परन्तु फिलहाल समर्थकों राजनीतिक दलों के सिपहसालार पूर्णतया इस बात के लिए ततपर है कि तैयारियां पूर्ण हो जाये ताकि समय आने पर कुछ भी अधूरा न रह जाये।

Aanand Dubey

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