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विमान हादसे में पायलट सुमित सभरवाल की दर्दनाक मौत, 88 वर्षीय पिता ने नम आंखों से दी अंतिम विदाई

अहमदाबाद-  एक भयावह त्रासदी ने पूरे देश को हिला कर रख दिया, जब एयर इंडिया का एक विमान टेकऑफ के महज कुछ सेकेंड बाद क्रैश हो गया। इस हादसे में विमान में सवार सभी 241 यात्रियों की जान चली गई, जिनमें वरिष्ठ पायलट कैप्टन सुमित सभरवाल भी शामिल थे।

आज जब कैप्टन सभरवाल का पार्थिव शरीर उनके मुंबई स्थित आवास लाया गया, तो पूरे माहौल में ग़म और सन्नाटा छा गया। 88 वर्षीय बुजुर्ग पिता पुष्करराज सभरवाल, जो हमेशा बेटे के साथ और उसके सपनों से जुड़े रहे, अपने आंसुओं को रोक नहीं सके। घर के बाहर, उन्होंने कांपते हाथों से बेटे को अंतिम प्रणाम किया। यह पल सिर्फ एक परिवार नहीं, पूरे मोहल्ले और देश की आंखों को नम कर गया।

एक अधूरा सपना और पिता की टूटी उम्मीदें
कैप्टन सभरवाल के परिवार के मुताबिक, वह अक्सर कहते थे कि रिटायरमेंट के बाद वह अपने पिता की सेवा में अपना जीवन समर्पित करना चाहते हैं। लेकिन नियति ने उन्हें वह मौका कभी नहीं दिया। हादसे ने न केवल एक बेटे की जान ली, बल्कि एक पिता की जीने की उम्मीद भी छीन ली।

सुमित की अंतिम यात्रा में हर चेहरा शोकाकुल था। चकाला स्थित हिन्दू श्मशान घाट पर उन्हें पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

प्रशिक्षण और अनुभव का बेमिसाल रिकॉर्ड
कैप्टन सुमित सभरवाल उड़ान क्षेत्र में एक अनुभवी नाम थे। उनके पास 8,200 से अधिक उड़ान घंटे का अनुभव था। लेकिन 12 जून की सुबह टेकऑफ के मात्र 50 सेकेंड बाद, उन्होंने एयर ट्रैफिक कंट्रोल को भेजा अपना अंतिम संदेश:
“Mayday, Mayday, Mayday… No power, no thrust, going down…”
इसके बाद विमान का संपर्क टूट गया और वह अहमदाबाद के डॉक्टर्स हॉस्टल से टकरा गया। कुछ ही सेकंड में विमान आग का गोला बन गया।

मेघानी नगर की यादें और बहादुरी की विरासत
बताया जा रहा है कि हादसे के अंतिम क्षणों में कैप्टन सभरवाल ने अपनी सूझबूझ से घनी आबादी वाले इलाके में और भी बड़ा नुकसान होने से बचाया। मेघानी नगर के कई निवासी आज उन्हें ‘मसीहा’ कहकर याद कर रहे हैं।

Anand Dube

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