उत्तराखंड

उत्तराखंड में मर्डर से 5 गुना ज्यादा मौतें रोड एक्सीडेंट में: डीजीपी

चौथे वॉव पॉलिसी डायलॉग में डीजीपी अशोक कुमार ने गिनाये रोड एक्सीडेंट के कारण

पीएचडी चैम्बर ऑफ कॉमर्स व एसडीसी फाउंडेशन ने आयोजित किया डायलॉग

देहरादून। राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने राज्य में बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं को राज्य के लिए बड़ी चिन्ता का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि राज्य में हर वर्ष औसतन 200 लोगों का मर्डर होता है, जबकि इससे 5 गुना ज्यादा यानी करीब 1000 लोगों की मौत सड़क दुर्घटनाओं में हो जाती है। डीजीपी सहस्रधारा रोड स्थित वॉव केफे में पीएचडी चेम्बर ऑफ कॉमर्स और एसडीसी फाउंडेशन की ओर से आयोजित चौथे वॉव पॉलिसी डायलॉग में ‘उत्तराखंड में सड़क दुर्घटनाएं’ विषय पर अपनी बात रख रहे थे। इस कार्यक्रम में एम्स ऋषिकेश के ट्रामा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मधुर उनियाल और वरिष्ठ पत्रकार गौरव तलवार भी वक्ता के रूप में आमंत्रित किये गये थे।

डीजीपी अशोक कुमार ने कहा कि राज्य में सडक दुर्घटनाओं को लेकर एक बड़ा कारण सड़कों पर बढ़ता ट्रैफिक का दबाव है। राज्य गठन के समय उत्तराखंड में वाहनों की संख्या करीब 4 लाख थी, जबकि अब 8 गुना ज्यादा करीब 32 लाख हो गई है। गाड़ियों की संख्या के हिसाब से सड़कें नहीं बढ़ पाई हैं। उन्होंने ड्रंक एंड ड्राइव, ओवर स्पीड और ओवर लोडिंग को भी सड़क दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बताया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में रूल्स को तोड़ना कुछ लोगों की संस्कृति बन गई है। ऐसे लोगों को सड़कों पर नियमों को तोड़ने में मजा आता है और यही लोग अक्सर दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। उन्होंने उत्तराखंड के लोगों और यहां आने वाले पर्यटकों से अपील की कि वे ड्राइव करते समय रूल्स एंड रेगुलेशन का गंभीरता से पालन करें। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस सड़क दुर्घटनाओं के मामलों को लेकर बेहद गंभीर है और इन्हें कम करने के लिए ट्रेनिंग देने सहित सभी प्रयास कर रही है।वरिष्ठ पत्रकार गौरव तलवार ने कहा कि राज्य में सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो पता चलता है कि राज्य के मैदानी और पर्वतीय हिस्सों में सड़क दुर्घटनाओं के प्रकृति अलग-अलग है। मैदानी क्षेत्रों में जहां दोपहिया वाहनों के एक्सीडेंट ज्यादा होते हैं, वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े वाहन ज्यादा दुर्घटनाग्रस्त होते हैं। उनका कहना था कि सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए पर्वतीय और मैदानी क्षेत्रों से अलग-अलग रणनीति बनाने की जरूतर है। उन्होंने ओवर स्पीड और रैश ड्राइविंग पर प्रभावी अंकुश लगाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि रोड एक्सीडेंट रोकने के लिए हमारे पास पॉलिसी तो हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने विभिन्न जिम्मेदार एजेंसियों के बीच सामंजस्य की जरूरत पर भी जोर दिया।डॉ. मधुर उनियान ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं में उत्तराखंड में कामकाजी लोगों की सबसे ज्यादा मौत हो रही है। दुर्घटनाओं में कामकाजी उम्र की लोगों की मौत और चोट के देशभर के आंकड़ों का विश्लेषण करें तो उत्तराखंड में सर्वाधिक डिसेबिलिटी अडजस्टेड लाइफ इयर्स हैं । उनका कहना था कि एक्सीडेंट के मामलों का हम अक्सर बहुत ज्यादा सामान्यीकरण करते हैं। हम ओवर स्पीड और ड्रंक एंड ड्राइव तक ही सीमित रहते हैं, जबकि एक्सीडेंट के कई और कारण भी होते हैं। खासकर उन्होंने रोड इंजीनियरिंग का जिक्र किया और कहा कि रोड एक्सीडेंट रोकने की लिए सड़कों की बनावट भी एक बड़ा कारण होती है। उन्होंने कहा कि देश के कई हिस्सों में जीरो फाटलिटी कॉरिडोर बन रहे हैं। उत्तराखंड में ऐसे कॉरिडोर बनाने की बेहद जरूरत है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर एक्सीडेंट युवाओं की लापरवाही के कारण होते हैं। ऐसे में अभिवावकों का दायित्व है कि वे अपने बच्चों को वाहन देते समय बहुत सूझबूझ का परिचय दें। उन्होंने अभिवावकों से कहा कि वे हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर्स में आकर देखें कि दुर्घटनाओं में कितने किशोरों की मौत हो रही है और इससे उनके परिजनों की कितनी पीड़ा सहनी पड़ रही है।पॉलिसी डायलॉग की अध्यक्षता पीएचडी चेंबर ऑफ कॉमर्स उत्तराखंड चैप्टर के हेमंत कोचर और संचालन एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने किया । कार्यक्रम में डीआईजी ट्रैफिक मुख्तार मोहसिन, एसपी ट्रैफिक देहरादून अक्षय कोंडे, वेणु ढींगरा, रश्मि चोपड़ा, संजय भार्गव, आशीष गर्ग, गणेश कंडवाल, एसएस रसायली, परमजीत सिंह कक्कड़, विशाल काला, टन जौहर आदि भारी संख्या मे अन्य नागरिक मौजूद थे।

Aanand Dubey

superbharatnews@gmail.com, Mobile No. +91 7895558600, 7505953573

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *