ब्लॉग

लोकसभा चुनाव के लिए मुद्दों की तलाश

अजीत द्विवेदी
यह सिर्फ कहने की बात नहीं है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव देश की राजनीति को दिशा देने वाले होंगे और इनसे पता चलेगा कि अगला लोकसभा चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा। यह आमतौर पर हर चुनाव के बारे में कहा जाता है लेकिन इस बार पांच राज्यों के चुनाव का मामला थोड़ा अलग है। इन पांचों राज्यों में उन सारे दांव-पेंच की परीक्षा होने वाली है, जिनके दम पर लोकसभा का अगला चुनाव लड़ा जाना है। लोकसभा चुनाव में आजमाए जाने वाले तमाम हथियारों को इन चुनावों में धार दिया जा रहा है। चाहे हिंदुत्व के मुद्दे के दम पर ध्रुवीकरण की राजनीति हो या लोक लुभावन वादों के जरिए लोक कल्याण की राजनीति को नया स्वरूप देना हो या जाति की राजनीति के सहारे हिंदुत्व के व्यापक मुद्दे का जवाब देना हो या लूट का पैसा वसूल कर लोगों को लौटाने की रॉबिनहुड मार्का राजनीति का दांव हो, सबकी परीक्षा इस चुनाव में होनी है। इससे पहले किसी चुनाव में इतने व्यापक पैमाने पर राजनीतिक दांव-पेंच नहीं आजमाए गए हैं।

लोक लुभावन घोषणाओं के जरिए आम लोगों को आकर्षित करने की राजनीति का मौजूदा दौर वैसे तो अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में शुरू किया था। कांग्रेस ने जब कर्नाटक में इसमें नई चीजें जोड़ कर इसे आजमाया तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे ‘मुफ्त की रेवड़ी’ कह कर देश को इससे बचाने की जरूरत बताई थी। लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस की भारी भरकम जीत के बाद प्रधानमंत्री ने ‘मुफ्त की रेवड़ी’ का जुमला बोलना बंद कर दिया है। अब भाजपा आगे बढ़ कर इस दांव को आजमा रही है। एक तरफ कांग्रेस, पांच-छह-सात गारंटियों की घोषणा कर रही है तो दूसरी ओर भाजपा भी ‘मोदी की गारंटी’ के नाम से अपना घोषणापत्र पेश कर रही है, जिसमें महिलाओं को नकद पैसे देने से लेकर रसोई गैस सिलेंडर पर सब्सिडी, ऊंची कीमत पर किसानों की फसल की खरीद, मुफ्त में स्कूटी और लैपटॉप आदि देने के वादे कर रही है।

मोदी ने चुनाव प्रचार के बीच ऐलान कर दिया कि सरकार अगले पांच साल तक पांच किलो अनाज फ्री में देगी। दूसरी ओर कांग्रेस भी सारी सीमाएं तोड़ रही है। मुफ्त बिजली, पानी से लेकर मुफ्त की बस यात्रा और नर्सरी कक्षा के बच्चे से लेकर हर वयस्क महिला के खाते में नकद पैसे डालने तक के वादे कर रही है। पांच राज्यों के चुनाव नतीजों में यह देखने वाली बात होगी कि किसकी गारंटी और किसके वादे पर जनता ने ज्यादा भरोसा किया। जिसकी गारंटी को जनता स्वीकार करेगी वह लोकसभा चुनाव में और बढ़-चढ़ कर गारंटी देगा।

हिंदुत्व के सबसे बड़े मुद्दे की परीक्षा भी इन चुनावों में होनी है। पांच राज्यों के चुनाव के बीच अयोध्या में राममंदिर के उद्घाटन की तारीख आई है। राम जन्मभूमि मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने प्रधानमंत्री मोदी से मिल कर उनको 22 जनवरी को होने वाले उद्घाटन कार्यक्रम का मुख्य अतिथि बनाया। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और भाजपा ने 22 जनवरी से पहले 10 दिन तक पूरे देश में राममय माहौल बनाने का ऐलान किया है। इस वजह से बिना कहे भाजपा ने अयोध्या राममंदिर का मुद्दा पांच राज्यों के चुनाव प्रचार के केंद्र में ला दिया है। इसके अलावा हिंदुत्व के और भी मुद्दे आजमाए जा रहे हैं।

जैसे तेलंगाना में भाजपा ने अपने घोषणापत्र में कहा कि उसकी सरकार बनी तो वह समान नागरिक संहिता लागू करेगी। गौर करने की बात है कि इस घोषणा से पहले मीडिया में यह खबर आई थी कि जल्दी ही उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पर विचार के लिए बनाई गई जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की कमेटी अपनी रिपोर्ट देगी और उत्तराखंड सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला कर इसे कानून बना देगी। इस खबर के बाद तेलंगाना में भाजपा ने इसका वादा किया है।
इसी तरह हिंदुत्व की राजनीति के तहत तेलंगाना में भाजपा ने यह भी वादा किया है कि उसकी सरकार बनी तो वह लोगों को मुफ्त में अयोध्या में राम जन्मभूमि मंदिर के दर्शन कराने ले जाएगी। यह बात और भी राज्यों में कही गई है। मध्य प्रदेश और राजस्थान में तो भाजपा के नेता दो कदम और आगे बढ़ गए।

मध्य प्रदेश में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि चुनाव पर पाकिस्तान की नजर है और अगर भाजपा हारी तो पाकिस्तान में खुशियां मनाई जाएंगी। यह बात राजस्थान में विधानसभा चुनाव लड़ रहे महंत बालकनाथ ने कही और बड़े प्रचार के तौर पर राजस्थान भेजे गए रमेश विधूड़ी ने भी कही। वे संसद में एक मुस्लिम सांसद से बदतमीजी करके चर्चा में आए हैं। राजस्थान में एक दर्जी कन्हैयालाल की दो मुस्लिम युवाओं द्वारा हत्या के मामले को भी भाजपा के नेता हाईलाइट कर रहे हैं। नाथ संप्रदाय के महंत बालकनाथ को चुनाव लड़ा कर भाजपा ने यह भी मैसेज बनाया कि राजस्थान में उनको मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। उधर छत्तीसगढ़ में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इकलौते मुस्लिम विधायक के क्षेत्र में जाकर माता कौशल्या की भूमि की पवित्रता की रक्षा करने की अपील की।

पहले तो उन्होंने मुस्लिम विधायक पर बड़ी नस्ली टिप्पणी की थी, जिस पर चुनाव आयोग ने उनको नोटिस भी जारी किया है। सो, यह चुनाव हिमंत बिस्वा सरमा, योगी आदित्यनाथ और रमेश विधूड़ी सहित ऐसे कई नेताओं की उपयोगिता की परीक्षा वाला भी है। इस चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों ने जाति गणना का बड़ा मुद्दा बनाया है। कांग्रेस पार्टी की ओर से तो मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी दोनों जाति गणना के मुद्दे को सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे के तौर पर पेश कर रहे हैं। राहुल ने हर जगह वादा किया है कि कांग्रेस की सरकार बनते ही जातियों की गिनती कराई जाएगी। उन्होंने कर्नाटक में दिया गया अपना नारा ‘जितनी आबादी उतना हक’ को बार बार दोहराया है। भाजपा भी इसमें पीछे नहीं है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार के दौरान कहा कि भाजपा जाति गणना के खिलाफ नहीं है। इसके बाद उन्होंने जाति राजनीति के सबसे बड़े गढ़ यानी बिहार जाकर कहा कि बिहार में जाति गणना का फैसला उस समय हुआ था तब भाजपा भी सरकार का हिस्सा थी।

इस तरह उन्होंने जाति गणना का श्रेय लिया। उन्होंने यह भी कहा कि नरेंद्र मोदी ने 35 फीसदी मंत्री ओबीसी समुदाय के बनाए हैं। उन्होंने कांग्रेस को इस आधार पर कठघरे में खड़ा किया कि भाजपा ने उससे ज्यादा ओबीसी मुख्यमंत्री बनाए हैं। इसके बावजूद जाति गणना और आरक्षण बढ़ा कर पिछड़ी जातियों को अपने साथ जोडऩे का बड़ा अभियान कांग्रेस ने छेड़ा है। कर्नाटक के बाद पांच राज्यों में इस मुद्दे की परीक्षा होनी है। अगर कांग्रेस को कामयाबी मिलती है तो हिंदुत्व के मुद्दे के बरक्स रामबाण की तरह लोकसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल किया जाएगा।

राहुल गांधी के रॉबिनहुड वाली छवि की परीक्षा भी इन चुनावों में होनी है। वे तेलंगाना में बार बार कह रहे हैं कि केसीआर सरकार ने जनता का जितना पैसा लूटा है वह वसूला जाएगा और जनता को लौटाया जाएगा। यह लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा हो सकता है। अगर तेलंगाना में कांग्रेस को कामयाबी मिलती है तो लोकसभा चुनाव में इसे आजमाया जाएगा। राहुल लोकसभा चुनाव में ऐलान कर सकते हैं कि 10 साल में चुनिंदा कारोबारियों को जितना पैसा सरकार की ओर से लूटने दिया गया है उनकी वसूली होगी और वह पैसा लोगों को लौटाया जाएगा। लोगों को इस तरह के वादे पसंद आते हैं और बड़े लोगों पर कार्रवाई की बात भी लोगों को आकर्षित करती है।

Aanand Dubey / Sanjay Dhiman

superbharatnews@gmail.com, Mobile No. +91 7895558600, 7505953573

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *