ब्लॉग

सड़क हादसों के लिए कठोर कानून तो चाहिए ही, लेकिन यह भी समझे सरकार

हाईवे जाम करके आपूर्ति रोकना अचानक फ्लैश मॉब की तरह नहीं हुआ। अखिल भारतीय मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने दिसंबर के अंत में भारत की नई दंड संहिता बीएनएस में हिट-एंड-रन एक्सिडेंट्स के लिए अधिकतम 10 साल की जेल और 7 लाख के जुर्माने की समीक्षा का अनुरोध किया था। दूसरी तरफ, उसने ट्रक चालकों से भी धैर्य रखने की अपील की थी। लेकिन ट्रक ड्राइवरों ने इस अपील को बिल्कुल भाव नहीं दिया और हड़ताल शुरू कर दी। मंगलवार को सरकार के साथ बातचीत के बाद हड़ताल वापस ले ली गई। केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया कि नए कानून लागू होने से पहले हितधारकों के साथ परामर्श किया जाएगा।

प्रमुख निकाय और ट्रक चालकों को डर था कि हिट-एंड-रन मामलों में विशेष रूप से हाईवे प पुलिस शायद ही कभी जांच करती है, बस ट्रक चालकों को ही दोषी मानती है। ऐसे मामलों की जांच कैसे की जाए, इस पर कोई मानक प्रक्रिया (एसओपी) नहीं है। दुर्घटना के बाद ट्रक चालक अगर मौके पर रुके तो आग-बबूला हुए स्थानीय लोग उसके साथ क्या करेंगे, इसका कुछ अंदाजा नहीं रहता है। इस खौफ से ट्रक ड्राइवर एक्सिडेंट को रिपोर्ट करवाने के लिए मौके पर रुकने की बजाय किसी तरह जान बचाकर निकलने को प्राथमिकता देते हैं। इस पर सरकार ने कहा कि कानून में कहीं नहीं लिखा है कि दुर्घटना की सूचना साइट से ही देनी चाहिए। एसोसिएशन का मानना है कि एक तो ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर में ड्राइवरों की 27त्न कमी है, ऊपर से 10 साल की जेल की सजा का प्रावधान लोगों के इस सेक्टर से जुडऩे से रोकेगा। बहरहाल, ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल से देश के सप्लाई चेन की जीवन रेखा बाधित हो गई। उम्मीद है आज से पेट्रोल-डीजल समेत अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति फिर से शुरू हो जाएगी।

लेकिन क्या कानून को दोष देना चाहिए: ट्रक चालकों की दलीलों में दम तो है, लेकिन कानून को दोष देना उनकी परेशानियों का समाधान नहीं है। एक सख्त कानून की जरूरत है। सडक़ दुर्घटनाओं में भारत दुनिया में सबसे आगे है। वर्ष 2022 में हिट एंड रन मामलों में लगभग 59 हजार लोग मारे गए, जो सडक़ हादसों में कुल मौतों का लगभग 30त्न है। महाराष्ट्र में 2022 में हर घंटे एक व्यक्ति की हाइवे एक्सिटेंड में मृत्यु हुई, जो 2021 की तुलना में 14त्न अधिक है। इसमें कोई शक नहीं कि लापरवाही से गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों की देश में कोई कमी नहीं है, जिनको नियम-कानूनों की कोई परवाह नहीं होती है।

असली समस्या के समाधान की जरूरत: ट्रक चालकों को झूठे मुकदमे का डर है। पूरे देश में पुलिसिंग क्वॉलिटी वास्तव में खराब हो गई है। इसके अलावा, कई गंभीर कारक दुर्घटना का कारण बनते हैं। केंद्रीय सडक़ परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 2020 में टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए एक साक्षात्कार में इसी सटीक पहचान की। उन्होंने कहा, दुर्घटनाओं और सडक़ हादसों के मुख्य कारण खराब रोड इंजीनियरिंग, गलत विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर), चौक-चौराहों की गलत डिजाइनिंग, संकेतों और रोड चिह्नों का अभाव आदि हैं। यही तो असल मुद्दा है। इसलिए, केवल कठोर दंड से ही सडक़ों को सुरक्षित बनाने का मकसद सही नहीं है। सडक़ों और राजमार्गों को ठीक कर दिया जाए तो कानून को नरम करने की ट्रक चालकों की मांग का बहुत कम महत्व रह जाता है। तब सरकार भी ड्राइवरों पर दबाव बना सकती है।

Aanand Dubey

superbharatnews@gmail.com, Mobile No. +91 7895558600, 7505953573

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *