उत्तराखंड

जोशीमठ में आसान नहीं है वन टाइम सेटलमेंट की राह, सरकार के तीन विकल्पों से सहमत नहीं कई आपदा प्रभावित

जोशीमठ। उत्तराखंड की धामी सरकार जोशीमठ के आपदा प्रभावितों के पुनर्वास और विस्थापन को लेकर तेजी से काम कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के प्रतिनिधि के तौर पर बद्री-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेन्द्र अजय अधिकारियों की टीम के साथ जोशीमठ में डेरा डाले हुए हैं। वहीं देहरादून में भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आपदा प्रभावितों को लेकर लगातार फीडबैक लेने के साथ ही अधिकारियों की समीक्षा बैठके ले रहे हैं। जोशीमठ के पुनर्वास और विस्थापन को लेकर स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधों के सुझाव के बाद सरकार ने जो तीन विकल्प दिए हैं, उनसे कई आपदा प्रभावित सहमत नहीं दिखाई दे रहे हैं। प्रभावितों का कहना है कि सरकार की ओर से विकल्पों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है। जोशीमठ के स्थायी निवासी वन टाइम सेटलमेंट के लिए राजी नहीं हैं। ऐसे ही कुछ लोगों से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट रूप से अपनी बात कही।

आपदा प्रभाविता दिगंबर बिष्ट कहते हैं कि तीन जनवरी से हम बेघर हैं, अखबारों के माध्यम से बार-बार कहा जा रहा है कि वन टाइम सेटलमेंट करेंगे, लेकिन किस आधार पर किया जाएगा, यह साफ नहीं किया गया है। आंदोलन करने के बाद बताया गया कि उन्हें मुआवजा सीपीडब्ल्यूडी के रेट के आधार पर दिया जाएगा, लेकिन उन्हें लगभग 23685 रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मुआवजा दिया जा रहा है। इसमें मकान बनाना संभव नहीं है। वन टाइम सेटलमेंट के मानकों को भी उजागर नहीं किया गया है। जिससे हम दुविधा में हैं।

जोशीमठ के स्थायी निवासी चंडी प्रसाद बहुगुणा वन टाइम सेटलमेंट नहीं चाहते हैं। यहां पर हमारा कारोबार चलता है। हमें मकान व भूमि की क्षति का आकलन कर मुआवजा दिया जाए, यदि हमारी भूमि रहने लायक है तो उसकी रिपेयरिंग कर हमें वहां रहने दिया जाए, जिन लोगों का वन टाइम सेटलमेंट किया जाएगा, इस पर जल्द निर्णय हो।

स्थानीय रोहित परमान का कहना है कि जब तक भूमि की दरों का निर्धारण नहीं हो जाता है, तब तक हम लोग भी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं कि क्या करें। ठीक है, सरकार ने तीन विकल्प दिए हैं, लेकिन उसमें सिर्फ हमारे मकान व भूमि के मुआवजे की बात की गई है। उसमें स्पष्ट नहीं किया गया है कि मुआवजा किस दर पर दिया जाएगा। जोशीमठ की अधिकांश भूमि व्यावसायिक है। जब तक सरकार मुआवजे पर स्थिति स्पष्ट नहीं कर देती, तब तक आगे कदम नहीं उठाएंगे।

आपदा प्रभावित माधवी सती का कहना है कि जो तीन विकल्प सरकार ने दिए हैं, उसमें भूमि का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। पुनर्वास कहां करेंगे, स्पष्ट नहीं है। मकान बनाने के लिए 75 वर्ग मीटर भूमि देने की बात की जा रही है। किसी के परिवार में 8 से 10 सदस्य हैं, तो ऐसे में इतने छोटे मकान में वह कैसे रहेंगे। हमारी दो-तीन मंजिला मकान थे, जो टूट चुके हैं। कुछ बातें अभी सरकार की तरफ से स्पष्ट नहीं हैं।

Aanand Dubey

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