भगवानपुर

भगवानपुर सामुदायिक केंद्र पर जिंदगी और मौत के बीच जूझता रहा मरीज, लेकिन धरती के भगवान कहें जाने वाले डॉक्टरों का कहीं नहीं रहा पता 

भगवानपुर। धरती के भगवान अगर अपने फर्ज को ही ठेंगा दिखा दे तो कौन डाक्टरी पेशे पर विश्वास करेगा, ऐसा ही एक मामला भगवानपुर सामुदायिक केंद्र पर देखने को मिला। ज़ब गुरुकुल नारसन के भूड़पुर जट्ट के रवित कुमार का किसी वाहन से एक्सीडेंट हो गया, और उसे कुछ लोग गाड़ी से भगवानपुर सरकारी अस्पताल मे उपचार के लिये ले गये।  घंटो मरीज दर्द से तड़फता रहा मगर धरती के भगवान कहें जाने वाले डॉक्टर अपनी ड्यूटी से गायब मिले और ये एक दिन का प्रकरण नहीं है। रोजाना डॉक्टर अपने पेशे का गलत इस्तेमाल कर स्वास्थ्य विभाग से मुफ्त की तनख्वा ले रहे है और जिनके लिये उन्हें जिम्मेदारी दीं गई उसी पेशे का गलत इस्तेमाल कर अपने फर्ज से खिलवाड़ करते आ रहे है।
दरअसल इसे स्वास्थ्य विभाग की अगर लापरवाही कहें तो कुछ गलत नहीं होगा कुछ दिनों से भगवानपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के हालात सही नहीं चल रहे है जहाँ कुछ अधिकारियो पर करोड़ो के घोटाले के आरोप लग रहे है तो कुछ ने अपने पेशे की मर्यादा को नीलाम कर दिया जोकि भगवान से जुड़े ख़िताब को बदनाम कर दिया।

वही आज की इन तस्वीरों ने धरती के भगवान कहें जाने वाले डॉक्टरो की पोल खोल कर रख दीं है। हर कोई अपनी जिम्मेदारी से खिलवाड़ करते दिखे तड़फते मरीज को देखने वाला कोई डॉक्टर अस्पताल मे मौजूद नहीं था। मरीज घंटो जिंदगी और मौत की जंग लडता रहा। फिर बिना किसी डॉक्टर की मदद से मीडिया ने एम्बुलेंस की मदद से घायल अवस्था मे मरीज को सिविल अस्पताल रूडकी भेज दिया।

अब सवाल इस बात का है कि ज़ब डॉक्टर अपनी जिम्मेदारी से कार्य नहीं कर रहे है, तो तनख्वा कैसी स्वास्थ्य विभाग ऐसे डॉक्टरो पर कार्यवाही करें और उन्हें उनकी जिम्मेदारी से मुक्त करें जिससे ऐसे पवित्र पेशे का अपमान करने की कोई हिम्मत ना करें।

वही बसपा नेता सुबोध राकेश ने इंसानियत का परिचय देते हुए घायल को अपनी गाड़ी से उपचार के लिये सिविल अस्पताल भिजवाया। ऐसे नेता को मीडिया का भी दिल से सलाम जो किसी अनजान के लिये भी अपने जरूरी कार्य को झोड़कर उसकी मदद करें।

Aanand Dubey

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