ब्लॉग

चार पार्टियों का तीसरा मोर्चा

भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस से मुकाबले के लिए एक तीसरा मोर्चा बनने लगा है। अगले लोकसभा चुनाव को लेकर तीसरे मोर्चे की बातचीत चल रही है और इसकी एक रूपरेखा भी बन गई है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल फिलहाल इस तीसरे मोर्चे में शामिल दिख रहे हैं लेकिन ऐसा लग रहा है कि वे इसकी थाह ले रहे हैं। वे अंदाजा लगा रहे हैं कि तीसरे मोर्चे के साथ मिल कर लडऩा ज्यादा फायदेमंद होगा या अकेले लडऩे की तैयारी रखनी चाहिए। जो प्रादेशिक पार्टियां इस मोर्चे में शामिल होने वाली हैं उनके असर वाले राज्यों में केजरीवाल अपनी पार्टी की संभावना का पता लगा रहे हैं।

अगर जरा सी भी संभावना दिखती है तो वे अकेले आगे बढ़ेंगे अन्यथा तीसरे मोर्चे में रहेंगे। शुरुआती बातचीत के मुताबिक तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और तेलंगाना राष्ट्र समिति इस तीसरे मोर्चे के घटक हैं और पांचवीं पार्टी राजद हो सकती है। ध्यान रहे तृणमूल की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के लिए चुनाव प्रचार किया था। वे दो बार उत्तर प्रदेश गई थीं, चुनाव प्रचार किया था और अखिलेश के साथ साझा प्रेस कांफ्रेंस किया था। पिछले दिनों वे दिल्ली आईं तो मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से उनकी मुलाकात हुई। अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी के आवास पर वे केजरीवाल से मिलीं। बताया जा रहा है कि अखिलेश और केजरीवाल दोनों सिद्धांत रूप में तीसरे मोर्चे के लिए सहमत हैं। अखिलेश को अब कांग्रेस के साथ नहीं लडऩा है और कांग्रेस को भी प्रशांत किशोर ने समझाया था कि वह उत्तर प्रदेश में अकेले लड़े। चूंकि अखिलेश को अकेले राजनीति करनी है इसलिए उनको ममता बनर्जी या केजरीवाल के साथ रहने में कोई आपत्ति नहीं है। ममता की पार्टी का उत्तर प्रदेश में कोई इंटरेस्ट नहीं है और न बंगाल में सपा का कोई इंटरेस्ट है। तेलंगाना राष्ट्र समिति का तेलंगाना के बाहर किसी राज्य में इंटरेस्ट नहीं है। सपा को दिल्ली या पंजाब में भी चुनाव नहीं लडऩा है, जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है। लेकिन केजरीवाल के लिए मामला इतना सीधा नहीं है।

केजरीवाल उत्तर प्रदेश में राजनीति कर सकते हैं। उन्होंने अपनी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को आगे करके विधानसभा का चुनाव लड़ा था। उसमें उन्होंने सपा के साथ तालमेल की भी बात की थी। हालांकि तालमेल हो नहीं सका। लोकसभा चुनाव से पहले होने वाले विधानसभा चुनावों में अगर उनकी पार्टी का प्रदर्शन अच्छा रहता है तो वे उत्तर प्रदेश में लडऩा चाहेंगे। वैसे भी उत्तर प्रदेश में लड़े बगैर वे देश भर में भाजपा और नरेंद्र मोदी के खिलाफ लडऩे का मैसेज नहीं बनवा पाएंगे। अगर इस पेंच को केजरीवाल और अखिलेश सुलझा लेते हैं तो कम से कम ये चार पार्टियां अलग मोर्चा बना कर चुनाव लड़ेंगी।

Aanand Dubey

superbharatnews@gmail.com, Mobile No. +91 7895558600, 7505953573

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *