बुजुर्ग श्रद्धालुओं को डंडी-कंडी से माता के दरबार पहुंचा रहे युवा, देखिये तस्वीर
उत्तरकाशी। मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। नवरात्र के पावन पर्व पर यह कहावत मां चंदोमती मंदिर में चरितार्थ हो रही है। यहां मंदिर के दर्शन के लिए आने वाले बुजुर्ग श्रद्धालुओं को स्थानीय युवा डंडी- कंडी की मदद से मंदिर तक पहुंचा रहे हैं।
विकासखंड भटवाड़ी मुख्यालय से कुछ किमी पहले गंगोत्री हाईवे पर मां चंदोमती का प्राचीन मंदिर है। मल्ला गांव स्थित इस प्राचीन मंदिर को मल्ला देवी के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रों में यहां श्रद्धालु दूर-दराज के क्षेत्रों से माता के दर्शन और पूजन को पहुंचते हैं। कहा जाता है कि जिस बड़े खेत में देवी का प्राचीन मंदिर स्थित है।
उस खेत में कभी सात हलों की जोड़ी से खेत को जोता जाता था। एक बार जब सातों हलों से खेत को जोता जा रहा था, तो जमीन के अंदर किसी चीज से टकराने पर हल टूट गए। इस पर स्थानीय लोग क्षेत्र के आराध्य सोमेश्वर देवता के पास गए। उन्होंने देवता से इसके पीछे का कारण पूछा, तो देवता ने उनसे बिना हल के खोदाई करने को कहा। जिसमें अष्टभुजा महिषासुरमर्दिनी माता की मूर्ति निकली।
जिसके बाद खेतों में ही मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कर मंदिर का निर्माण कराया गया। पहले यहां बलिप्रथा भी प्रचलित थी। जो अब बंद हो चुकी हैं। नवरात्रों में श्रद्धालु यहां माता का श्रृंगार, नारियल, चुनरी आदि भेंटकर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। मान्यता है कि मल्ला देवी के दर्शन मात्रा से मनोकामना पूर्ण होती है। इस नवरात्र में यहां स्थानीय युवा बुजुर्ग श्रद्धालुओं को डंडी-कंडी से मंदिर पहुंचाकर मानव सेवा सबसे बड़ा धर्म की सीख दे रहे हैं।
स्थानीय युवाओं की यह पहल सार्थक व सराहनीय है। आगामी चारधाम यात्रा सीजन इसे स्वरोजगार का जरिया भी बनाया जा सकता है। जिससे बेरोजगार युवाओं को लाभ मिलेगा। -अजय प्रकाश बडोला, अध्यक्ष, उत्तरकाशी मंदिर जीर्णोद्धार समिति।