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भारत की उभरती ऊर्जा अर्थव्यवस्था के लिए परिवर्तनकारी बजट

सुब्रह्मण्यम पुलीपका
भारत आज नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश है और स्थापित सौर क्षमता के मामले में पांचवां सबसे बड़ा देश है। फरवरी 2022 की शुरुआत में, भारत के सौर प्रतिष्ठानों ने 50 गीगावाट के मील का पत्थर पार कर लिया। इससे भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला दुनिया का पांचवां देश बन गया। वर्ष 2021 भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक वर्ष रहा। अगस्त 2021 में, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर, भारत ने 100 गीगावाट की स्थापित नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षमता हासिल की। नतीजतन, दिसंबर 2021 में, भारत 150 गीगावाट की नवीकरणीय ऊर्जा (बड़े हाइड्रो सहित) वाला दुनिया का चौथा देश बन गया। 2021 एक ऐसा वर्ष भी है जिसमें भारत के सौर प्रतिष्ठानों ने 2020 की स्थिति की तुलना में 210 प्रतिशत की छलांग के साथ 10 गीगावाट की क्षमता को पार कर लिया। इस प्रकार, यह कोविड से जुड़ी चुनौतियों के बावजूद भारत के सौर इतिहास का सबसे अच्छा वर्ष साबित हुआ।

आज, भारत दुनिया के ऊर्जा संबंधी सबसे बड़े परिवर्तनकारी कार्यक्रमों वाले देशों में से एक है, जिसका लक्ष्य महत्वाकांक्षी और व्यावहारिक दोनों है। कॉप26 में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की कि भारत 2030 तक अपने नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) संबंधी लक्ष्य को 500 गीगावाट तक बढ़ा लेगा। अब जबकि इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिए सिर्फ नौ वर्ष बचे हैं, बजट 2022 ने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) क्षेत्र को एक अनुकूल परिस्थिति प्रदान करने की दिशा में बेहद आवश्यक प्रोत्साहन दिया है।
बजट 2022 भारत के ऊर्जा के क्षेत्र में बदलाव के लक्ष्यों और संबद्ध सामाजिक-आर्थिक लाभों को बढ़ावा देने की दृष्टि से वाकई परिवर्तनकारी है, खासकर उस स्थिति में जब यह क्षेत्र बाजार संचालित अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित हो रहा है। इस बजट में नवीकरणीय ऊर्जा के प्रावधान भारतीय ऊर्जा अर्थव्यवस्था के चार प्रमुख आधारभूत स्तंभों- स्वावलंबन, समृद्धि, सशक्तिकरण और शक्ति – पर आधारित हैं।

स्वावलंबन: माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 2020 में आत्मनिर्भर भारत का आह्वान किया था। इसके अनुरूप सरकार ने भारत में उच्च दक्षता वाले सौर निर्माण के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की घोषणा की। इस बजट में इस योजना के परिव्यय में 19,500 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई है, जिससे इस योजना का कुल परिव्यय लगभग तीन बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। यह वृद्धि निश्चित रूप से सौर मॉड्यूल और सेल की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत की उत्पादन क्षमताओं में तेजी लाने में मदद करेगी और संभावित रूप से अगले तीन वर्षों में घरेलू उत्पादन में कम से कम 45 गीगावाट की वृद्धि कर भारत को वैश्विक सौर उत्पादन का प्रमुख केंद्र बना देगी। इसके अतिरिक्त, मार्च 2024 तक 15 प्रतिशत की रियायती कर व्यवस्था का विस्तार करते हुए आयातित सौर सेल और मॉड्यूल पर क्रमश: 25 प्रतिशत और 40 प्रतिशत की बुनियादी सीमा शुल्क (बीसीडी) की घोषणा भी की गई। उपरोक्त सभी प्रावधान घरेलू उत्पादन को बेहद जरूरी गति प्रदान करेंगे और आयात पर एक दशक तक की निर्भरता की स्थिति में बदलाव लाते हुए भारत को सौर ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के करीब ले जायेंगे।

समृद्धि: भारत की सौर क्षमता सात वर्षों में 17 गुना बढ़ी है और यह सिर्फ भारत सरकार के संगठित एवं सुसंगत नीतिगत उपायों के कारण ही संभव हो पाया है। इस वर्ष के बजट ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के विकास को तेजी से आगे बढ़ाया है। निवेश जुटाने के लिए सॉवरेन ग्रीन बांड जारी करने की घोषणा नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश की दृष्टि से दुनिया के एक आकर्षक केन्द्र के रूप में भारत की पहले से चली आ रही प्रतिष्ठा को और मजबूत करेगी। जीएसडीपी के चार प्रतिशत के राजकोषीय घाटे की अनुमति देने का कदम, जिसमें 0.5 प्रतिशत बिजली क्षेत्र के सुधारों से जुड़ा होगा, भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को और अधिक जवाबदेह बनाने की दिशा में एक लंबा रास्ता तय करेगा, जिससे इसके त्वरित विकास को बल मिलेगा। बुनियादी ढांचे की समन्वित सूची में चार्जिंग की सघन अवसंरचना के साथ ऊर्जा संचयन प्रणाली और ग्रिड-स्केल बैटरी प्रणाली की व्यवस्था भारत में ऊर्जा संचयन को किफायती बनाने की आधारशिला रखेंगे।

सशक्तिकरण: विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा और कम आबादी, सीमित संपर्क एवं बुनियादी ढांचे वाले सीमावर्ती गांवों के लिए आजीविका सृजन के लिए सहायता का प्रावधान ग्रामीण आबादी को सशक्त बनाने की दिशा में एक सही कदम है। यह भी रोचक है कि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) ने हाल ही में विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा आजीविका अनुप्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा जारी की है जिसका उद्देश्य नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन प्रौद्योगिकियों के प्रसार के लिए एक समर्थ इकोसिस्टम बनाना है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए पनबिजली और सौर ऊर्जा परियोजनाओं को बजट में शामिल करने का कदम किसानों की आय को दोगुना करने में महत्वपूर्ण योगदान देते हुए कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्रों को एकीकृत करने के सरकार के संकल्प का एक ठोस प्रमाण है।

शक्ति: शक्ति का अर्थ है ताकत। गतिशक्ति और नारीशक्ति पर इस बजट के जोर ने नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र को और अधिक ताकत प्रदान की है। पीएम गतिशक्ति जहां भारत में आर्थिक विकास और सतत विकास से संबंधित एक परिवर्तनकारी दृष्टिकोण है, वहीं इस दृष्टिकोण के स्वच्छ ऊर्जा और सबका प्रयास की भावना से संचालित होने की माननीय वित्त मंत्री की घोषणा नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक उत्साहजनक खबर है। नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र सभी, विशेष रूप से युवाओं, के लिए बड़ी संख्या में रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर पैदा करते हुए भारत को नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में वैश्विक महाशक्ति बनाने के लिए गतिशक्ति प्लेटफॉर्म का लाभ उठा सकता है। इस वर्ष के बजट में नारी शक्ति के महत्व को भी मान्यता दी गई है जोकि नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में महिलाओं के नेतृत्व में विकास के आशावादी भविष्य की शुरुआत है। मिशन शक्ति, मिशन वात्सल्य, सक्षम आंगनबाड़ी और पोषण 2.0 जैसी संशोधित सरकारी योजनाओं ने बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाया है और बाल विकास के लिए समृद्ध वातावरण प्रदान करने वाली ये योजनाएं स्वच्छ ऊर्जा द्वारा संचालित हैं।

कुल मिलाकर, इस वर्ष का बजट कॉप-26 के दौरान माननीय प्रधानमंत्री द्वारा उल्लेखित पंचामृत दृष्टिकोण को साकार करने की दिशा में सही कदम है। इस दृष्टिकोण में 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा का लक्ष्य प्राप्त करना शामिल है, जोकि कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन कम करते हुए 2030 तक भारत की ऊर्जा आवश्यकताओं के आधे हिस्से को पूरा करेगा और 2030 तक कार्बन की तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करेगा। अंत में, 2070 तक भारत को निवल शून्य (नेट जीरो) बनाने के लिए इन सभी उपायों को एकीकृत करना होगा।
लेखक सीईओ, नेशनल सोलर एनर्जी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनएसईएफआई) हैं

Aanand Dubey

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