मंकीपॉक्स से सावधान
मंकीपॉक्स से सर्वाधिक केस अगर यूरोप के देशों में मिले हैं तो सबसे ज्यादा मौतें अफ्रीकी देशों में हुई हैं। यह इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
दुनिया अभी एक महामारी से उबरी नहीं है और दूसरी महामारी दरवाजे पर दस्तक दे रही है। एक तरफ भारत में कोरोना वायरस के केसेज बढ़ रहे हैं तो दूसरी ओर मंकीपॉक्स के नए केसेज मिलने लगे हैं। कहने को भारत में अभी तक सिर्फ चार केस मिले हैं इसलिए यह पैनिक जैसी स्थिति नहीं है। बेशक केसेज की संख्या कम है लेकिन यह जिस तरह की संक्रामक बीमारी है उसे देखते हुए चार केस भी बहुत हैं। भारत के लिए चिंता की बात यह है कि चौथा केस, जो दिल्ली में मिला उस संक्रमित व्यक्ति का विदेश दौरा करने का कोई इतिहास नहीं है। उसने मनाली में छुट्टी मनाई थी और दिल्ली लौटने पर संक्रमण के लक्षण दिखे थे। इसका मतलब है कि संक्रमण का स्रोत स्थानीय है।
यह चिंता की बात है अगर स्थानीय स्तर पर संक्रमण फैल रहा है। ध्यान रहे मंकीपॉक्स का संक्रमण कोरोना वायरस की तरह हवा से तो नहीं फैलता है लेकिन मरीज के संपर्क में आने से तेजी से फैलता है। यह शारीरिक स्पर्श से फैलने वाली बीमारी है। इसलिए भारत जैसी सघन आबादी वाले देश में इसके तेजी से फैलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है। इस बीमारी की एक और खास बात यह है कि कोरोना से उलट इसका प्रसार हर देश में समान रूप से हो रहा है। कोरोना का संक्रमण अफ्रीकी देशों में बहुत कम रहा और वहां यूरोपीय, अमेरिकी या एशियाई देशों के मुकाबले कम लोगों की मृत्यु हुई। परंतु मंकीपॉक्स से सर्वाधिक केस अगर यूरोप के देशों में मिले हैं तो सबसे ज्यादा मौतें अफ्रीकी देशों में हुई हैं। यह इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि अभी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है।
इसलिए बचाव ही सबसे बेहतर उपाय है। केरल में पहला केस मिलने के बाद भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी टीम भेज कर हालात का जायजा लिया था। उसके बाद से हवाईअड्डों और बंदरगाहों पर निगरानी बढ़ाई गई है। दिल्ली में नए केस मिलने के बाद से स्थानीय स्तर पर संक्रमण पर निगरानी की ज्यादा जरूरत है। मंकीपॉक्स का वायरस दुनिया के 80 देशों में फैल चुका है इसलिए अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डों पर निगरानी और जांच की पुख्ता व्यवस्था होनी चाहिए। कोरोना महामारी के अनुभव से सबक लेकर केंद्र और राज्य सरकारों को टेस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट के बंदोबस्त करने चाहिए। दिल्ली में एलएनजेपी अस्पताल में विशेष वार्ड बनाया गया है। ऐसी तैयारी देश के दूसरे शहरों में भी होनी चाहिए।