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बायो सीएनजी प्रोजेक्ट-स्वच्छ भारत और रोजगार सृजन के लिए एक बहुमुखी समाधान

गौरव केडिया

बायोगैस/ बायो सीएनजी एक अक्षय ऊर्जा उद्योग के रूप में उभर रहा है जो कृषि, औद्योगिक, पशु और नगरपालिका के जैविक कचरे को ऊर्जा में परिवर्तित करता है। देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के अलावा, यह ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को विनियमित करने, प्रदूषण को कम करने और अपशिष्ट प्रबंधन में सुधार करने में भी मदद करता है। इंडियन बायोगैस एसोसिएशन के अनुसार, भारत में बायोगैस उत्पादन की 1,108 टीडब्ल्यूएच (टेरा वाट-घंटे) की क्षमता है, जिसे संशोधित करके बायो सीएनजी में बदला जा सकता है एवं ग्रीन फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है।  यह उद्योग श्रम प्रधान है व कुशल और अकुशल दोनों श्रेणियों में रोजगार के अवसर प्रदान कर सकता है।

बायोगैस उद्योग तीन अलग-अलग श्रेणियों में रोजगार पैदा कर सकता है। रोजगार की पहली श्रेणी बायोगैस परियोजनाओं में प्रत्यक्ष रोजगार है, जिसमें फसल उत्पादन, निर्माण, बायोगैस संयंत्रों के संचालन और रखरखाव और परिवहन के लिए आवश्यक सभी जनशक्ति शामिल हैं। दूसरी श्रेणी बायोगैस ईंधन चक्रों में निवेश के कारण अर्थव्यवस्था में उत्पन्न अप्रत्यक्ष रोजगार है। अप्रत्यक्ष नौकरियां मुख्य रूप से सहायक उद्योगों जैसे उपकरण निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं, आदि में हैं। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अलावा, बायोगैस उद्योग में प्रेरित रोजगार पैदा करने की क्षमता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से काम के अवसरों के माध्यम से राजस्व में वृद्धि के परिणामस्वरूप उत्पादों और सेवाओं की मांग में वृद्धि हो सकती है।
स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम 2.0) में एमएसडब्ल्यू से बायो सीएनजी बनाने को प्रोत्साहित किया गया है। एमओपीएनजी अपनी एसएटीएटी योजना के अंतर्गत जैविक कूड़े से बनने वाली बायो सीएनजी के लिए अनिवार्य रूप से खरीददता है।
एमएसडब्ल्यू से बायो सीएनजी बनाना सर्कूलर इकॉनमी एवं वेस्ट टू वेल्थ का एक उत्कर्षट उदाहरण है, जो नगर निकायों को न सिर्फ जैविक कूड़े से मुक्ति दिलाएगा अपितु गैस की बिक्री से राजस्व भी अर्जित करेगा।

इंडियन बायोगैस एसोसिएशन के अनुसार, भारत में मुख़्यत: छोटे बायोगैस सयंत्रो का वर्चस्व है। देश में, 48,00,000 से अधिक बायोगैस इकाइयाँ हैं, जो अर्ध-कुशल और अकुशल दोनों तरह के श्रमिकों को रोजगार देती हैं। आने वाले वर्षों में संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होगी, क्योंकि सरकार का जैविक खेती और नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर व्यापार को आगे बढ़ाएगा।

2018 में, भारत सरकार ने एसएटीएटी (सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य विभिन्न बायोमास स्रोतों से संपीडि़त बायोगैस उत्पादन के लिए एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। 2025 तक, एसएटीएटी पहल 5000 बड़े पैमाने पर बायोगैस सुविधाओं का निर्माण करना चाहती है। इन बायोगैस संयंत्रों को लगाने के लिए उद्यमियों को प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन जैसी योजनाएं भी एक स्थायी समाधान के रूप में बायोगैस का समर्थन करती हैं।
(लेखक अध्यक्ष, भारतीय बायोगैस एसोसिएशन हैं)

Aanand Dubey

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