मंजि़लो के गम में रोने से मंजिलें नहीं मिलती
जगदीश सिह सम्पादक
देश के बदलते वातावरण में लगातार सियासी वादा का चीर हरण हो रहा है। लोकतन्त्र के आसमान पर वादा फरोशी के बादल उमड़ घुमड़ रहे हैं। जहां बरस रहे हैं वहां सिर्फ बर्बादी का नजारा देखने को मिल रहा है! जनमत से नही ताल तिकड़म से कमल खिल रहा ह?।बिपक्षी यही दुष्प्रचार कर जनता को गुमराह कर रहे हैं? जगह जगह झंझावात करती हवा में इलेक्शन के समय भयंकर रियेक्सन हो रहा है।कहा तो जा रहा है आने वाली बहुमत की सरकार है! मगर इस बार कौरव सेना कर रही भयंकर हूंकार है।
राम रहीम की धरती पर बैमनश्यता की फसल लहलहा रही है! कश्मीर से कन्या कुमारी तक अदृश्य सरस्वती के तरह उन्मादी शक्तियां प्रवाहित हो रही है! समय समय पर उनका प्रादुर्भाव होता रहा है?आजाद भारत के स्वाभिमान के तिजारत में लगी सियासी पार्टीयां मन माफिक वरासत के आस में दिन रात इसी तरह के आसुरी शक्तियों से हाथ मिलाकर देश में विखन्डन का बीज बोती रही है! आज उसी कड़ी के देश द्रोहीयो को सबक सिखाने का काम अदालतें कर रही है! गुजरात में आज से एक दशक पहले देश को थरथराने का काम करने वालों को फांसी की सजा मुकर्रर कर दी गयी है?देश का हर नागरिक जानता है यह सोच समाज के उस वर्ग का है जिसका
विखन्डन में अटूट विश्वास है!वही दुसरी तरफ एक वर्ग सोच के समन्दर आस्था की लहरों से खेल रहा है।यह सच है इधर एक दशक से बृहद भारत का पुरातन नक्सा दिखने लगा है! आतंक की खेती करने वाली जमात के आकाओं पर कानून का शिकंजा कसा तो इनका सारा समाज सिसकने लगा है! कश्मीर की तकदीर में खुशहाली आयी! तो देश के नसीब में सदियों बाद अयोध्या मे राम राज वाली दीवाली आयी! बदलाव के बहाव में ठहराव समभाव लिये ब्यवस्था के परिसीलन मे आस्था के पुल से गुजरा तो हलचल मच गया! सम्भावनाओ के बाजार में समरसता का सूचकांक तेजी उछाल मारने लगा।
काशी विश्वनाथ कारीडोर निर्माण के समय बिन मांगे बगल की मस्जिद मे अवैध रुप से कब्जाई गई जमीन वापस मिल! न कोई सियासत न विरासत न किसी ने दिखाई टकराने की हिमाकत हर काम में शराफत न कोई दंगा न फसाद यही तो दस वर्षों में मिला है सनातनी समाज को अमृत तुल्य प्रसाद? विकृत हो चुकी ब्यवस्था में जब केवल विषमता के जहरीले तालाबो का सत्तर साल तक निर्माण होता रहा!उसको पाटने में समय तो लगेगा ही।अपराधियो! माफियाओं! का साम्राज्य खतम हो रहा है!जेल की सलाखों में उनके जिन्दगी का आखरी सफर पूरा हो रहा है!
बीबीसी के विख्यात पत्रकार मार्क टुली नें ब्यान दिया है, कि “मोदी इस देश के उस बडे बरगद को उखाड़ कर गिरा रहे हैं!जिसमें वर्षों से विषैले कीड़े लगे हुए हैं ! इसके लिए उन्हे लगातार महा संघर्ष करना होगा !मोदी नें देश में छुपे सारे जहरीले नागों के बिल में एक साथ हाथ डाल दिया है?, इसी लिये ये विषैले नाग एक साथ हमलावर होकर फूफकार रहें हैं,! आतंकी, वामपंथी जेहादी, नक्सली, धर्म परिवर्तन कराती मिशनरी पत्थर बाजों, दंगाईयों सहित हर तरह के नागों को कांग्रेस अपने पीटारे में पालती रही है! उसका खामियाजा भी जान गंवा कर भुगतती रही है?
अपना वजूद बचाने के लिये आज मशक्कत कर रही है!समय के साथ इन नागों को नाथने के लिये शानदार सपेरा मिल गया!जिसके बीन के धुन पर आज ये जहरीले नाग नाच रहे हैं या बिल में छिप कर जिन्दगी की सलामती की दुआ मांग रहे हैं।जिस तरह सियासी नागों की तमाम प्रजातियां समय समाज में फब्तियां कस रही थी! आनें वाले समय में इस धरा के सद्भाव को निगल जाती। आनें वाली नश्लो के पास एक विकृत विषमता घुटन पैदा करता समाज रह जाता! आज देश के परिवेश में परिवर्तन का खेल शुरु है! पांच राज्यों में चुनाव चल रहा है।
सारे सियासी महारथी कमल को उखाड़ फेंकने के लिये एक साथ हमलावर है!एक साथ हो गये सारे कद्दावर है! खास कर यूपी में योगी सरकार को दरकिनार करने के लिये विदेशी ताकतें भी नजर लगाये हुये है।तीसरे चरण का भी चुनाव सम्पन्न हो गया ! अटकल साथीयों का बाजार गर्म है! किन्तु परन्तु के बीच मतदाता इस बार कहीं नहीं कर रहा है तकरार! वह जान चुका है किसकी बनेगी सरकार!जमकर कर रहा है मतदान चला रखा है आसुरी शक्तियों को उखाड़ फेंकने का अभियान !अपनें लिये नहीं, बल्कि आनें वाली पीढियों और भारत के उज्जवल भविष्य के लिए हर कदम सोचकर उठा रहा है!परिणाम क्या होगा! यह तो समय बतायेगा!
अभी तो देश के परिवेश में फैले जहरीले दरख्तो को काटा जा रहा तो बिरानी नजर आ रही! हल्ला मच गया है! जब हरियाली के लिये बट बृक्ष वजूद में आयेगे तब छाया का अहसास होगा!हर तरफ खुशहाली होगीएक दुसरे में बिश्वास बढ़ेगा?योगी सरकार के कारनामों के साथ बिपक्ष उसके सापेक्ष उनसे बेहतर ब्यवस्था के ऐलान के साथ मतदान का आह्वान कर रही है देखना है इस बार किसकी बनती है सरकार! राष्ट्रवादी वजूद में आते हैं या जातिवादी!