पाकिस्तान में बाढ़ के हालात में सुधार, भुखमरी और बीमारियों का बढ़ा खतरा
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में आयी भीषण बाढ़ का प्रकोप धीरे धीरे कम हो रहा है। सिंध के 22 में से 18 जिलों में बाढ़ के पानी का स्तर 34 प्रतिशत और कुछ जिलों में 78 प्रतिशत तक कम हो गया है। संयुक्त राष्ट्र की एक नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि यह स्थिति बाढ़ प्रभावित प्रांतों में खाद्य असुरक्षा को बढ़ा सकती है। इसके अलावा, जलजनित और वेक्टर जनित बीमारियों के बढ़ते मामले एक प्रमुख चिंता का विषय हैं, खासकर सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में है।
डॉन समाचार पत्र ने मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र के कार्यालय (ओसीएचए) द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि बलूचिस्तान के अधिकांश जिलों में सामान्य स्थिति बनी हुई है और तापमान कम होना शुरू हो गया है। तालुका कुबो सईद खान, शाहदादकोट, कंबर, वाराह और नसीराबाद के ऊपरी इलाकों में कुल जल स्तर घट रहा है, जबकि सिंधु नदी गुड्डू, सुक्कुर और कोटरी बैराज में सामान्य रूप से बह रही है।
आईपीसी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार खाद्य सुरक्षा स्थिति की गंभीरता का विश्लेषण और वर्गीकरण करने के लिए विश्लेषणात्मक उपकरणों और प्रक्रियाओं का एक समूह है।
सरकार के नेतृत्व में सितंबर में तीन प्रांतों में किए गए मल्टीसेक्टर रैपिड नीड्स असेसमेंट से संकेत मिलता है कि पानी के बुनियादी ढांचे के क्षतिग्रस्त हो जाने के कारण अस्वच्छ प्रथाएं बढ़ रही हैं और इस मूल्यांकन के अुनसार खुले में शौच ,जो बाढ़ से पहले 21 प्रतिशत था वह बाढ़ के बाद बढक़र 35 प्रतिशत हो गया। लगभग 09 लाख 50 हजार घरों के शौचालय क्षतिग्रस्त हो गए है या उन तक पहुंच नहीं है , जिससे अनुमानित 60 लाख लोग प्रभावित हुए। इसके अलावा बाढ़ प्रभावितों में 14 प्रतिशत लोग सुविधाओं की कमी और सीमित जागरूकता के कारण महत्वपूर्ण समय पर साबुन से हाथ नहीं धोते है।
बाढ़ प्रभावित समुदायों में कुपोषण एक और चिंता का विषय है। बाढ़ से पहले बलूचिस्तान, केपी, पंजाब और सिंध में वैश्विक तीव्र कुपोषण (जीएएम) की व्यापकता पहले से ही अधिक थी , 02 वर्ष से कम आयु के 96 प्रतिशत बच्चे न्यूनतम स्वीकार्य आहार का सेवन नहीं कर रहे थे और 5 वर्ष से कम आयु के कम से कम 40 प्रतिशत बच्चे लंबे समय से कुपोषित (स्टंटेड) थे।