हरिद्वार

हरिद्वार में पारंपरिक रीति-रिवाज व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया इगास पर्व

हरिद्वार। हरिद्वार के पथरी, रोशनाबाद और बहादारबाद में बसे हुए टिहरी बांध के विस्थापित और श्यामपुर में बसे गढ़वाल के परिजन अपने पंरापरागत रीति-रिवाज और त्योहारों को अभी तक भूले नहीं हैं। इसके चलते ही बीते दिन विस्थापित हुए परिवारों ने हर्षोल्लास के साथ इगास का पर्व मनाया। सभी लोगों ने एक दूसरे को इगास की बधाई देते हुए एक-दूसरे का मुहं मीठा करवाया। सुबह से ही परिवारों में जश्न का माहौल रहा, सभी ने मिलकर अपने कुल देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की।

विस्थापित हुए इन परिवारों में अपने परंपरागत त्योहार को लेकर काफी उत्साह रहता है। प्रदेश से बाहर जैसे दिल्ली व अन्य शहरों से भी नौकरी करने वाले व पढ़ाई करने वाले बच्चे भी इस त्योहार को मनाने के लिए अपने घरों में आते हैं, और परिवार के सभी सदस्य मिलकर उस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इगास का यह त्योहार दिवाली के 11 दिनों बाद मनाया जाता है, और जैसे सभी लोग दिवाली को मनाते हैं वैसे ही यह त्योहार भी मनाया जाता है।

पथरी जंगल किनारे आदर्श टिहरी नगर, टिहरी डोब नगर, टिहरी बद्राकोटी, टिहरी विकास नगर, घोंटी, टिहरी भागीरथी नगर ग्राम पंचायतों में टिहरी बांध विस्थापित परिवार बसे हुए है। इन सभी स्थानों में लोग इगास के त्योहार को बडे ही उत्साह के साथ मनाते हैं।

ब्लॉक प्रमुख आशा नेगी, बालम सिंह नेगी, विक्रम खरोला, रविन्द्र सिंह, मंजू देवी, कृष्णानंद डंगवाल, उम्मेद सिंह रावत, जितेन्द्र सिंह ने बताया कि हरिद्वार में विस्थापन के करीब 40 साल हो गए हैं। वह शहर में घुल-मिल गए हैं। लेकिन अपने त्योहारों को नहीं भूले हैं। इगास का सभी को हर साल इंतजार रहता है। त्योहार पर घर से बाहर रहने वाले अधिकतर लोग छुट्टी लेकर घर आते हैं। परिवार के साथ रीति-रिवाज से त्योहार मनाते हैं। त्योहार पर सभी लोग अपने घरों को सजाते है। ईष्टदेव की पूजा अर्चना कर पारंपरिक पहाड़ी व्यंजन बनाए जाते हैं। एक-दूसरे के घर व्यंजन का आदान-प्रदान कर एकता का संदेश देते है।

Aanand Dubey / Sanjay Dhiman

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