ब्लॉग

कश्मीर अब पूरी तरह हमारा है…

विष्णुदेव साय

जम्मू कश्मीर को देश के संविधान के दायरे में लाने सबसे पहले आवाज उठाने वाले महान विचारक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के संदर्भ में यह उद्घोष उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है कि शहीद हुए थे जहां मुखर्जी वह कश्मीर अब पूरी तरह हमारा है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का यह प्रण आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद तब पूरा हुआ जब  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अगस्त 2019 में संसद में संविधान के अनुच्छेद 370 एवं 35-ए को खत्म करने का अध्यादेश पारित कराया। इसके बाद ही जम्मू कश्मीर सच्चे अर्थों में भारत का अभिन्न अंग बना। साजि़श के तहत जिन शर्तों और नियमों के साथ जम्मू कश्मीर को भारत में शामिल किया गया था, उसके विरुद्ध डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी शुरु से ही मुखर थे। उन्होंने जम्मू कश्मीर जाकर अपना विरोध दर्ज कराया।

लेकिन दुर्भाग्य से उनके जीवन काल में उनका स्वप्न साकार नहीं हो सका। रहस्यमय परिस्थितियों में 23 जून 1953 को उनका निधन हो गया। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी   देश की अखंडता के लिए बलिदान देने वाले पहले व्यक्ति थे। डॉ मुखर्जी का सपना सच होने के बाद जम्मू कश्मीर के हालात में आया क्रांतिकारी परिवर्तन  इस सत्य का प्रमाण है कि यदि तब देश को कश्मीर से अलग थलग करने वाली शर्तें लागू न की गई होतीं तो परिस्थिति वह नहीं होती, जो सत्तर साल के दौरान सामने आई। लेकिनअब जम्मू कश्मीर का विकास संभव  हो गया है। केंद्र की भाजपा सरकार ने  विकास की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। चालू वित्त वर्ष के बजट में केंद्र सरकार ने धरती के स्वर्ग को संवारने पुख्ता इंतजाम किया है। केवल कश्मीर ही नहीं, आज हम जो बंगाल देख रहे हैं, वह भी डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने ही गढ़ा है। यदि उन्होंने बंगाल के विभाजन का पक्ष न रखा होता तो पूरा बंगाल ही भारत के हाथ से निकल गया होता।

भारत विभाजन की त्रासदी के शिकार हुए लाखों शरणार्थियों की सेवा के लिए डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने मिसाल कायम की, वह अद्वितीय है। तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू की नीतियों के विरोध में उद्योग मंत्री का पद त्याग देने वाले डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने देश को वह उद्योग नीति दी, जिससे औद्योगिक विकास हो सका। यदि कांग्रेस और नेहरू ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के विचारों की गंभीरता को देशहित में स्वीकार किया होता तो भारत सत्तर साल तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में उपेक्षित नहीं रहता। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी भाजपा की हर सांस में बसे हैं। जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. मुखर्जी ने कलकत्ता विश्वविद्यालय का प्रतीक चिन्ह बदलकर कमल पुष्प  रखा था। भारतीय जनता पार्टी का प्रतीक चिन्ह कमल है जो उनके विचारों और आदर्शों पर चलने की प्रेरणा देता है। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस के विरुद्ध राष्ट्रवादी विकल्प का संकल्प लिया था, जिसे भारतीय जनता पार्टी ने पूर्ण कर दिया है। नेहरू और कांग्रेस ने देश पर जो नीतियां थोपीं, उनसे गुलामी की बदबू आ रही थी। देश इन बेडिय़ों को तोडऩे कसमसा रहा था।

अवसर मिला तो अटलबिहारी वाजपेयी जी ने डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी के राष्ट्रवाद और पंडित दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के पथ पर संचलन करते हुए देश को नई दिशा दी। उनके बाद कांग्रेस के दस साल में फिर देश जहां का तहां पहुंच गया तो भारत का गौरव बढ़ाने का जनादेश मां भारती के फौलादी सुपुत्र नरेंद्र मोदी को मिला। तब से अब तक आठ साल में भारत विश्व की महाशक्तियों के बीच सम्मान पा रहा है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कांग्रेस के विरुद्ध जिस राष्ट्रवादी विकल्प का सपना देखा था, वह कांग्रेस ही नहीं वैश्विक परिदृश्य में भी साकार हो गया है। आज भारत विश्व बिरादरी के लिए अपरिहार्य है। भारत की उद्योग नीति इतनी सुदृढ़ हो गई है कि औद्योगिक विकास नित नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी की संकल्प शक्ति भारत विकास की मार्गदर्शन कर रही है। भारत माता के बलिदानी सपूत डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
(लेखक छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं)

Aanand Dubey / Sanjay Dhiman

superbharatnews@gmail.com, Mobile No. +91 7895558600, 7505953573

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *