मेडिटेशन और काउंसिलिंग से अलजाइर पर हो सकता है नियंत्रण :- डा. सौरभ
वर्ल्ड अलजाइमर डे पर विशेष
– शुरुआती दौर में पता लग जाए तो हो सकता है इलाज
– उच्च रक्तचाप, तनाव और सिर पर लगी चोट भी हैं अलजाइमर के कारण
डा.सौरभ गुप्ता के मुताबिक अलजाइमर मुख्य रूप 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के साथ होता है। शुरुआती दौर में रोगी छोटी-छोटी बातें भूल जाता है। यह शार्ट टर्म्स मेमोरी लॉस होता है। इसमें रोगी चश्मा, क्या खाया, कहां गया था आदि छोटी-छोटी बातें भूल जाता है। यदि समय पर इस पर नियंत्रण नहीं पाया गया तो रोग बढ़ जाता है और दीर्घकालीन लक्षण आ जाते हैं। इसमें रोगी को कुछ भी याद नहंी रहता है। डा. गुप्ता के अनुसार यह वह अवधि होती है जब रोगी को अपना जन्म, नाम या यह भी होश नहीं रहता है कि उसने कपड़े पहने हैं या नहीं। अलजाइमर का रोगी चिड़चिड़ा या अकेलेपन का शिकार हो सकता है।
गौरतलब है कि भारत में अलजाइमर के रोगियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है। विश्व में भारत अलजाइमर के रोगियों के मामले में तीसरे नंबर पर है। भारत में औसतन कुल जनसंख्या का दो प्रतिशत लोग इस रोग से ग्रसित हैं। डा. सौरभ गुप्ता ने कहा कि अलजाइमर को लेकर जागरूकता की आवश्यकता है। 60 साल से अधिक आयु के लोगों को नियमित काउंसिलिंग और उनके व्यवहार पर नजर रखे जाने की जरूरत है।