उत्तराखंड

त्योहारी सीजन में हो सकती है लोगों को टैक्सियों की मारामारी, जानिए वजह

देहरादून।  त्योहारी सीजन में टैक्सियों की मारामारी हो सकती है। ऐसे में लोगों को परेशानी हो सकती है। परिवहन विभाग ने तीन साल पहले सभी टैक्सी व मैक्सी वाहनों में पैनिक बटन- ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) अनिवार्य कर दिया। ताकि दुर्घटना के समय वाहन की लोकेशन लेकर राहत पहुंचाई जा सके। अब जीपीएस लगाने वाली कंपनी लापता हो गई है।

जिसके कारण वाहनों के जीपीएस रिचॉर्ज नहीं हो पा रहे हैं। इस वजह से कुमाऊं की करीब 12 हजार टैक्सी-मैक्सी को फिटनेस सर्टिफिकेट नहीं मिल पा रहा है। हैरानी की बात यह है कि परिवहन मंत्री के आदेश के बाद भी विभाग मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।  सरकारी आदेश के तहत जिन टैक्सी वाहनों में जीपीएस सिस्टम नहीं होगा, विभाग न तो उनका रजिस्ट्रेशन करेगा न ही फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाएगा।

आदेश के बाद टैक्सी वालों ने अपने वाहनों में जीपीएस सिस्टम लगवाया। हर दो साल बाद टैक्सी वाहनों का फिटनेस होती है। फिटनेस के लिए जरूरी है कि वाहन में जीपीएस सिस्टम एक्टिव हो। लेकिन जिस कंपनी से हजारों ट्रैक्सी वालों ने जीपीएस लगवाया वह कंपनी ही लापता हो गई है।

जिसके चलते कुमाऊं के करीब 12 हजार से ज्यादा वाहनों की फिटनेस पास नहीं हो पा रही है। महासंघ कुमाऊं मंडल टैक्सी यूनियन ने 8 सितंबर को परिवहन मंत्री चंदन राम दास से मुलाकात कर ज्ञापन दिया। मंत्री ने अधिकारियों को तुरंत हल निकालने को कहा। एक माह बाद भी कार्रवाई नहीं की है।

जिस कंपनी से जीपीएस लगवाया, वह लापता हो गई है। अब जीपीएस रिचॉर्ज नहीं हो रहा है। करीब 12 हजार से ज्यादा वाहनों की फिटनेस नहीं हो रही है। मामले को अधिकारी व मंत्री के सामने उठाया गया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

12 हजार में जीपीएस लगवाया, वह कंपनी लापता हो गई। अब दोबारा से 12 हजार रुपये खर्च कर जीपीएस लगवाने का दबाव बनाया जा रहा है। मामले में जल्द ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो राज्यव्यापी आंदोलन किया जाएगा।

Aanand Dubey

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