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क्या पाकिस्तान फिर टूट जाएगा?

अशोक मिश्रा
बीते दिनों श्रीलंका के दिवालिया होने के बाद विश्व विरादरी को पाकिस्तान के दिवालिया होने की चिंता सताने लगी हैं।अभी विश्व कोरोना महामारी से  उबरा भी नही था कि तमाम देश आर्थिक मंदी व भीषण महंगाई का सामना कर रहें हैं।पहले से खस्ता हाल पाकिस्तान के लिए यह समय बहुत मुश्किल भरा हैं, हाल ही में इमरान सरकार को गिराकर सत्ता में आये शाहबाज शरीफ के लिए बिकल्प बहुत सीमित हैं।पाकिस्तानी सरकार ने आईएमएफ से 60 बिलियन डॉलर की थी जिसको आईएमएफ ने मना कर दिया।अब आईएमएफ अगर पाकिस्तान की मदद भी करता हैं तो पाकिस्तान को चीन से पैसा न लेने की शर्त माननी होगी।बीते दिनों पाकिस्तानी सेना के एक अफसर को  बलोचिस्तान से अगवाकर उनकी हत्या कर दी जाती हैं ,हत्या की जिम्मेदारी बलोच लिबरेशन आर्मी ने ली हैं।दुनिया जानती हैं कि पाकिस्तान ने बंदूक के दम पर बलोचिस्तान पर कब्जा कर रखा हैं।

बलोचिस्तान सरकार की निर्वासित प्रधानमंत्री नायला कादरी ने एक कार्यक्रम में जयपुर में बोलते हुए कहा कि बलोचो का जीना अब पाकिस्तानी सेना ने मुश्किल कर दिया है।और और नवजवानों को अगवाकर या तो हत्या कर दी जा रही हैं या फिर गायब कर दिया जा रहा हैं।नायला कहती हैं कि 15 साल में 2लाख बलोच शहीद हुए हैं,व 50 हजार गायब हैं।डेनमार्क के एक सामाजिक कार्यकर्ता जिनको बहुत दिनों तक पाकिस्तानी हिरासत में रखा गया व यातनाएं दी गई बताते हैं कि बलोच महिलाओं के शरीर मे ड्रिल मशीन से छेद किया जाता हैं यातना इस दर्जे की हैं कि जल्लाद को भी शर्म जाए।अनैतिक पाकिस्तान जब से वजूद में आया हैं तब से अपने पड़ोसियों के लिए तो नासूर बना ही हैं साथ ही वह अपने नागरिकों के हुक़ूक़ को भी रौंद रहा हैं।अगर पाकिस्तान दिवालिया होता हैं। जिसके बहुत ज्यादा आसार हैं, तो पाकिस्तान से अलहदगी की तहरीकें और  जोर पकड़ेगी।

1970 से लगातार गृहयुद्ध झेल रहा बलोचिस्तान ,अकेला नही हैं पाकिस्तान के 3 जिले पंजाब,पस्तो,सिंधु इन जगहों पर दबी ही सही आग सुलग रही हैं।परमाणु सम्पन्न राष्ट्र का इस हालत में होना पड़ोसियों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय हैं।जिन शर्तों के साथ आईयमएफ ने 7 बिलियन डॉलर देने के लिए हामी भरी हैं उसका पाकिस्तान के सरकार पर विपरीत असर पडऩे वाला हैं।राहत पैकेज से फौरी राहत तो मिलती दिखती हैं ,पर भविष्य में विदेशी निवेश न आने से संकट बना रह सकता हैं।पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार हिचकोले खा रहा हैं।पाकिस्तान के लिए अब चीनी मदद लेना भी आसान नही रहेगा।डेढ़ महीने के अंदर पाकिस्तान में पेट्रोल 110 रुपये महंगा हुआ हैं।पाकिस्तानी जनता के पास महंगाई से त्रस्त होने के अलावा कोई विकल्प नही।बढ़ती महंगाई अस्थिर,अफगानिस्तान,बेरोजगारी ने पाकिस्तान में जातीय संघर्ष को जन्म दिया हैं।ताज़ा मामला पसतूनों व सिंधियों का संघर्ष हैं।राजनीतिक अस्थिरता के चलते पाकिस्तान आने वाले दिनों में कई आज़ादी की तहरीक़ों का सामना करेगा।

पाकिस्तान के अस्थिर व असफल देश होने से मलबा भारत पर भी आएगा इसलिए भारतीय नीति नियंताओं को अपने  चक्षु पाकिस्तान के मामले में तो खोलकर ही रखना होगा।उधर पदच्युत प्रधानमंत्री इमरान खान अलग आंदोलन की धमकी दे रहे हैं।दुनिया के लिए आतंकवाद निर्यात करने वाला पाकिस्तान आज खुद समर्पण की मुद्रा में खड़ा हैं।पाकिस्तान से अलग हुए बंगला देश ने आज विश्व मानचित्र पर जिस तरह अपने आपको स्थापित किया हैं वो पाकिस्तान के लिए सीखने वाली बात हैं।पाकिस्तानी सरकार संकट में आये ऐसा पाकिस्तान में बहुत से लोग चाहते हैं।

सेना कभी भी पाकिस्तान में मजबूत सरकार नही चाहेगी।अब बलोचों, पसतूनों,सिंधियों की आज़ादी की लड़ाई जोर पकडऩे के आसार हैं।जिस तरह से बलोचियों,व अफगानियों का भारत के प्रति प्यार हैं उसी तरह भारतीयों का दिल भी इनके लिए धडक़ता हैं।हाल में विश्व मे बढ़े भारत के प्रभाव का फायदा कम से कम बलोचियों को तो मिलना ही चाहिए।परोक्ष न सही अपरोक्ष ही भारत को बलोचियों की मदद के लिए आगे आना चाहिए।

Aanand Dubey / Sanjay Dhiman

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