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शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि को मनाया जाता है दशहरा, जानिए इसका महत्व व शुभ मुहूर्त

हिंदू धर्म में दशहरे के त्योहार का खास महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि के बाद दशमी तिथि को दशहरा मनाया जाता है। इसे विजयादशमी भी कहते हैं। इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। अधर्म पर धर्म की विजय के रूप में इस दिन रावण का दहन किया जाता है। इस दिन अस्त्रों-शस्त्रों और वाहनों की पूजा भी की जाती है। यह दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए काफी विशेष होता है। दशहरे के दिन किए गए टोटके, उपाय, दान और पूजा बहुत असरदार होते हैं। दशहरे के दिन तीन चीजों के दान का महत्व रहता है। जिनका गुप्त दान करने से मां लक्ष्मी जल्द ही प्रसन्न होती हैं।

दशहरा का महत्व 
दशानन रावण प्रकांड पंडित और विद्वान था, परंतु उसके मन का अहंकार उसकी मृत्यु का कारण बना। दशहरा अहंकारी रावण के पतन की कहानी कहता है। यह दिन न सिर्फ धर्म पर अधर्म की जीत को दर्शाता है अपितु इंसान को अहंकार न करने और सदमार्ग पर चलने की सीख भी देता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष तिथि को भगवान राम ने युद्ध में रावण का वध किया था।

माना जाता है कि भगवान श्री राम ने भी मां दुर्गा की पूजा कर शक्ति का आह्वान किया था, इसके पश्चात दशमी के दिन प्रभु श्री राम ने रावण का अंत किया। इसलिए यह दिन अपार शक्ति मां जगदंबा के पूजन का भी माना जाता है। एक अन्य कथा के अनुसार, इसी दिन माता दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था।

दशहरा शुभ मुहूर्त

  • आश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि आरंभ- 04 अक्टूबर 2022, दोपहर को 2 बजकर बीस मिनट पर
  • अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि समाप्त- 05 अक्टूबर 2022, दोपहर 12 बजे
  • विजय मुहूर्त- 05 अक्टूबर 2022 को दोपहर दो बजकर 13 मिनट से 02 बजकर 54 मिनट तक

इस साल दशमी तिथि 04 अक्टूबर को दोपहर से आरंभ हो रही है ऐसे में उदया तिथि 05 अक्टूबर को रहेगी। इसलिए इस बार दशहरा का त्योहार 05 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

दशहरा पूजन विधि

  • विजयादशमी के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण कर, प्रभु श्री राम, माता सीता और हनुमान जी का पूजन करें।
  • शुभ मुहूर्त में शमी के पौधे के पास जाकर सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शमी पूजन मंत्र पढ़ें। इसके बाद सभी दिशाओं में विजय की प्रार्थना करें।
  • इस दिन कई घरों में शस्त्र पूजन की भी परंपरा है। इसके लिए एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • तत्पश्चात उसके ऊपर सभी शस्त्रों को स्थापित करें और पुष्प, अक्षत, रोली, धूप दीप आदि से पूजन करें।
  • इसके साथ ही प्रभु श्रीराम, मां सरस्वती, भगवान गणेश, हनुमान जी और माता दुर्गा का पूजन करें।
  • विजय दशमी के दिन गोबर के दस गोले या कंडे भी बनाए जाते हैं। इनमें जौं लगाएं और धूप दीप दें।

रावण पुतला दहन का समय

पुराणों के अनुसार भगवान राम ने दशहरा (Dussehra 2022)  पर युद्ध की शुरुआत की थी। इस तिथि पर भगवान राम ने धर्म की रक्षा और सत्य की जीत के लिए शस्त्र पूजा की थी। रावण का पुतला बनाकर विजया मुहूर्त में पुतले का भेदन करके युद्ध के लिए वानर सेना संग लंका की चढ़ाई की थी। तभी से हर साल विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है। रावण के पुतला का दहन करने का शुभ मुहूर्त सूर्यास्त के बाद से रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। रावण दहन हमेशा प्रदोष काल में श्रवण नक्षत्र के अंर्तगत ही किया जाता है। अश्विन माह की दशमी को तारा उदय होने से सर्व कार्य सिद्धि दायक योग बनता है। रावण दहन के बाद अस्थियों को घर लाना बहुत शुभ माना जाता है। मान्यता है ऐसा करने से नकारात्मक उर्जा खत्म हो जाती है और घर में समृद्धि का वास होता है। दशहरा (Dussehra 2022) का उत्सव धर्म की रक्षा,शक्ति का प्रदर्शन और शक्ति का समन्वय का प्रतीक है। इसके अलावा दशहरा नकारात्मक शक्तियों के ऊपर सकारात्मक शक्तियों के जीत का प्रतीक है।

विभिन्न राज्यों में दशहरा कैसे मनाया जाता है?

उत्तर भारत में विजयादशमी को रामलीला के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बड़ी भीड़ के सामने विशाल मेलों में रावण, उसके भाई कुंभकर्ण और उसके पुत्र मेघनाथ की बड़ी-बड़ी प्रतिमाएं जलाई जाती हैं।

दक्षिणी भारत में, यह दिन गोलू के अंत का प्रतीक है – तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में मनाया जाने वाला त्योहार। इस अवधि के दौरान देवी चामुंडेश्वरी के रूप में देवी दुर्गा की पूजा की जाती है और लोग आयुध पूजा भी करते हैं जिसमें बच्चों को स्कूल में पेश किया जाता है। लोग किताबों की पूजा करते हैं।

आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में बुजुर्गों को सम्मान देने के लिए शमी के पेड़ के पत्ते देने का रिवाज है। अन्य महत्वपूर्ण घटनाओं में शामिल हैं थेप्पोत्सवम – एक नाव उत्सव जो इस समय कृष्णा नदी में आयोजित किया जाता है।

केरल में, इस दिन को विद्यारंभम के रूप में मनाया जाता है, जहां छोटे बच्चों को परिवार के एक बड़े सदस्य के मार्गदर्शन में चावल की थाली पर अपना नाम लिखकर औपचारिक शिक्षा से परिचित कराया जाता है।

पश्चिम बंगाल में इस दिन को दुर्गा पूजा के अंतिम दिन के रूप में मनाया जाता है। देवी दुर्गा की मूर्तियों को पानी में विसर्जित कर दिया जाता है और देवी दुर्गा अपने घर कैलाश लौट जाती हैं।

परंपरागत रूप से, भारतीय संस्कृति में, दशहरा हमेशा नृत्य, मेलों और बुराई पर अच्छाई के उत्सव से भरा होता है। विजयदशमी या दशहरा त्योहार का इस देश में रहने वाले सभी लोगों के लिए एक महान सांस्कृतिक महत्व है – चाहे उनकी जाति, पंथ और धर्म कुछ भी हो। लोग इस दिन को हर्ष और उल्लास के साथ मनाते हैं।

क्यों मनाया जाता है दशहरा 

14 वर्ष के वनवास के दौरान लंकापति रावण ने जब माता सीता का अपहरण किया तो भगवान राम ने हनुमानजी को माता सीता की खोज करने के लिए भेजा। हनुमानजी को माता सीता का पता लगाने में सफलता प्राप्‍त हुई और उन्‍होंने रावण को लाख समझाया कि माता सीता को सम्‍मान सहित प्रभु श्रीराम के पास भेज दें। रावण ने हनुमानजी की एक न मानी और अपनी मौत को निमंत्रण दे डाला। मर्यादा पुरुषोत्‍तम श्रीराम ने जिस दिन रावण का वध किया उस दिन शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि थी। राम ने 9 दिन तक मां दुर्गा की उपासनी की और फिर 10वें दिन रावण पर विजय प्राप्‍त की, इसलिए इस त्‍योहार को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है।

रावण के बुरे कर्मों पर श्रीरामजी की अच्‍छाइयों की जीत हुई, इसलिए इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार के रूप में भी मनाते हैं। इस दिन रावण के साथ उसके पुत्र मेघनाद और उसके भाई कुंभकरण के पुतले भी फूंके जाते हैं।

 

Aanand Dubey

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