उत्तराखंड का पारंपरिक उत्सव घी संक्रांति आज, सीएम धामी ने समस्त प्रदेशवासियों को दी शुभकामनाएं
देहरादून। उत्तराखंड अपनी संस्कृति के लिए जाना जाता है, यहां पर हर एक उत्सव का अपना एक अलग ही महत्व होता है। इसी के तहत आज उत्तराखंड का पारंपरिक उत्सव घी संक्रांति है, इसे घ्यू संक्रांत या फिर ओलगिया भी कहते है। उत्तराखंड के हर एक क्षेत्र में इसे मनाने का अपना अलग तरीका होता है। मान्यता है कि आज घी संक्रांति के दिन घी खाने का एक अलग ही महत्व होता है। यदि आज कोई व्यक्ति घी नहीं खाता तो उसे दूसरे जन्म में गनेल की योनि प्राप्त होती है। अलग- अलग जगह पर इसके अनेकों मान्ये है।
अच्छी फसलों व अच्छे स्वास्थ्य की कामना से जुड़ा हुआ है घी संक्रांति
आज के दिन समस्त प्रदेशवासी घी संक्रांति मना रहे है, व एक- दूसरे को घी संक्रांति की शुभकामनाएं दे रहे है। इसी के तहत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी समस्त प्रदेशवासियों को घी संक्रांति की शुभकामनाएं दी है। इस दौरान सीएम धामी ने कहा कि हमारे पारंपरिक लोकपर्व ही हमारी सांस्कृतिक विरासत को मजबूत बनाते है। सीएम ने बताया कि घी संक्रांति का उत्सव राज्य के प्रमुख लोकपर्व में से एक है, व अच्छी फसलों व अच्छे स्वास्थ्य की कामना से जुड़ा हुआ है।
हर क्षेत्र में अलग तरीके से मनाया जाता है घी संक्रांति
सीएम ने आगे कहा कि हमें अपने पारंपरिक लोकपर्वों को याद करने के साथ ही उन्हें मनाना भी चाहिए, ताकि आने वाली पीढ़ी अपने पारंपरिक त्योहारों को याद रखें। हर एक क्षेत्र में इसे अलग तरीके से मनाया जाता है, कुमाऊं में आज के दिन मक्खन या फिर घी की रोटी बनाकर उसे खाते है, वहीं घर- गांवों में महिलाएं ताजा मक्खन बनाकर अपने बच्चों के सर पर मलती है, व उनकी दीर्घआयु की कामना करते है। इसके साथ ही कई क्षेत्रों में ताजा घी बनाकर उसे खाते है।