आईआईटी शोधकर्ताओं ने किया कोविड के इलाज में कारगर एंटी वायरल की पहचान का दावा
रुड़की। आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 संक्रमण के इलाज में कारगर एंटी-वायरल मोलेक्यूल की पहचान का दावा किया है। शोधकर्ताओं ने पहले से प्रचलित दवा का अध्ययन कर तीन एंटीवायरल मोलेक्यूल की पहचान की। कोविड-19 महामारी के चलते पूरी दुनिया में सार्स-सीओवी 2 वायरल प्रोटीन की संरचना और प्रकृति समझने और इसके लिए वैक्सीन और इलाज विकसित करने के लिए कम्प्यूटेशनल और प्रायोगिक दोनों कार्यों में तेजी आई है। आईआईटी रुड़की की टीम सीओवी 2 मोलेक्यूल्स पर प्रोटीन संरचना-आधारित दवा की शोध कर रही है। ताकि इसका क्लीनिकल आंकलन किया जाए और फिर एंटीवायरल उपचार में उपयोग हो पाए।
टीम की मार्गदर्शक बायोसाइंसेज और बायो इंजीनियरिंग विभाग की प्रो. शैली तोमर, शोध पत्र के सह-लेखक रुचि रानी, सिवेन लॉन्ग, अक्षय पारीक, प्रीति ढाका, अंकुर सिंह, प्रवीन्द्र कुमार, गेराल्स मैकइनन हैं। आईआईटी के निदेशक प्रोफेसर केके पंत ने इस तरह के शोध को बहुत महत्वपूर्ण बताया। कहा कि इस तरह का शोध कोविड-19 महामारी बल्कि नए वैरियंट से निपटने और भविष्य के लिए तैयार रहने में महत्वपूर्ण है। इस शोध के माध्यम से वैज्ञानिक समुदाय को इस तरह के वायरस को बेहतर तरीके से समझने और कारगर वैक्सीन तैयार करने में मदद मिलेगी।
आईआईटी रुड़की की टीम ने कोविड 19 वायरस को टार्गेट करने और दवा के मोलेक्यूल की पहचान करने के लिए प्रोटीन डेटा बैंक का उपयोग किया। टीम ने वायरल प्रोटीन के खास हिस्से न्यूक्लियोटाइड बाइंडिंग पॉकेट्स (एनबीपी) पर कारगर मोलेक्यूल की खोज पर ध्यान केंद्रित किया। शोध टीम ने बताया कि एनबीपी को टार्गेट करने वाली दवाएं पहले से ज्ञात हैं और वायरस की अन्य बीमारियों जैसे एचआईवी, हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी आदि में उनका उपयोग होता है।
शोध प्रमुख प्रो. शैली तोमर ने कहा कि अन्य बीमारियों में एनबीपी को टार्गेट करने वाले एंटीवायरल सफल रहे हैं। बायोसाइंसेज और बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख प्रो. प्रवीन्द्र कुमार ने बताया कि इस अध्ययन को विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के इंटेसिफिकेशन ऑफ रिसर्च इन हाथ प्रायरिटी एरियाज (आईआरएचपीए) प्रोग्राम विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) भारत सरकार का सहयोग प्राप्त है।