रूस ने साधा मकसद
लिसिचांस्क शहर पर कब्जे कोव्लादीमीर पुतिन अपनी जीत बताएंगे। हालांकि यह भी सच है कि यहां कब्जा करने में रूस को अपने अनुमान से कहीं ज्यादा वक्त और शक्ति लगानी पड़ी।
रूस ने यूक्रेन में अपनी सैनिक कार्रवाई का एक प्रमुख मकसद हासिल कर लिया है। लुहांस्क इलाके में स्थित लिसिचांस्क शहर पर कब्जा होने के साथ ही अब पूरा दोनबास इलाके उसके नियंत्रण में है। लुहांस्क इलाके में यह आखिरी बड़ा शहर है, जहां अब तक यूक्रेनी सेना का कब्जा था। तो अब व्यावहारिक रूप में पूरे दोनबास इलाके पर रूस का नियंत्रण है। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन इसे अपनी जीत के रूप में पेश करेंगे। हालांकि यह भी सच है कि यहां कब्जा करने में रूस को उससे कहीं ज्यादा वक्त लगा, जितनी पुतिन का अंदाजा रहा होगा। दोनबास क्षेत्र कोयला और स्टील उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र है। जाहिर है, यहां कब्जा रूस की बड़ी रणनीतिक जीत है। इसके अलावा अब समझा जाता है कि दोनबास इलाके के हाथ से निकलने के बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेन्स्की पर रूस से बातचीत करने और उसकी शर्तों के मुताबिक समझौता करने का दबाव बढ़ेगा। रूस का कहना है कि अगर यूक्रेन ये शर्त मान ले, तो युद्ध खत्म होने का रास्ता निकल आएगा। अब जेलेन्स्की इसके लिए तैयार नहीं हैं। लेकिन बदले हालात में वे क्या सोचते हैं, इस पर दुनिया की नजर रहेगी।
बहरहाल, रूस ने अपने दो लक्ष्य हासिल कर लिए हैँ। 24 फरवरी को यूक्रेन में अपनी ‘विशेष सैनिक कार्रवाई’ की शुरुआत से पहले पुतिन तीन उद्देश्य बताए थे। उन्होंने कहा था कि दोनबास इलाके को यूक्रेन से मुक्त कराना, यूक्रेन में नाजी विचारधारा वाले गुटों का सफाया, और यूक्रेन को इस बात पर मजबूर करना कि वह नाटो का सदस्य ना बने, इस कार्रवाई का उद्देश्य होगा। ऐसी राय रही है कि यूक्रेन का मारियापोल शहर नाजी संगठनों का गढ़ था। वहां पहले ही रूसी सेना अपना कब्जा जमा चुकी है। तो कहा जा सकता है कि सैनिक कार्रवाई के दो मकसद रूस ने पूरे कर लिए हैँ। फिर भी यह याद रहेगा कि यूक्रेन की सेना ने लुहांस्क के कई मोर्चों पर लंबी लड़ाई लड़ी। रूसी सेना के आगे ऐसा करना आसान नहीं था। अंतत: अपेक्षा के मुताबिक उसे पराजित होना पड़ा। अब यह देखने की बात होगी कि इसके बाद क्या जल्द युद्ध की समाप्ति का कोई रास्ता निकलता है?